पर्यटन मंत्रालय ने भारत को विश्व स्तर पर एक पसंदीदा साहसिक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय रणनीति तैयार की : रेड्डी
पर्यटन मंत्रालय ने साहसिक पर्यटन को एक पसंदीदा पर्यटन उत्पाद के रूप में मान्यता दी है, जिसमें भारत को पर्यटन के लिये 365 दिनों के गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने और विशिष्ट रुचि वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अन्य बातों के साथ-साथ वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियां शामिल हैं।
विश्व स्तर पर साहसिक पर्यटन के लिए भारत को एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में पहचान दिलाने के लिए, पर्यटन मंत्रालय ने साहसिक पर्यटन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की है। साहसिक पर्यटन के विकास के लिए रणनीति दस्तावेज में निम्नलिखित रणनीतिक इकाइयों की पहचान की गई है:
(i) राज्य मूल्यांकन, रैंकिंग और रणनीति
(ii) कौशल, क्षमता निर्माण और प्रमाणन
(iii) मार्केटिंग और प्रमोशन
(iv) साहसिक पर्यटन सुरक्षा प्रबंधन ढांचे को सुदृढ़ बनाना
(v) राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय बचाव और संचार ग्रिड
(vi) गंतव्य और उत्पाद विकास
(vii) शासन और संस्थागत ढांचा
सचिव (पर्यटन) की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय साहसिक पर्यटन बोर्ड का गठन किया गया है, जिसमें चिन्हित केंद्रीय मंत्रालयों/संगठनों, राज्य सरकारों/केंद्र शासित राज्यों की सरकारों के प्रतिनिधियों और पर्यटन उद्योग के हितधारकों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य देश में साहसिक पर्यटन का विकास करने और उसे बढ़ावा देने के लिए बनी रणनीति का संचालन और क्रियान्वयन है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
(i) विस्तृत कार्य योजना और समर्पित योजना तैयार करना
(ii) प्रमाणन योजना
(iii) सुरक्षा दिशा-निर्देश
(iv) क्षमता निर्माण, राष्ट्रीय और विश्व स्तर के सर्वोत्तम अभ्यासों (चलनों) की प्रतिकृति
(v) राज्य की नीतियों और रैंकिंग का आकलन
(vi) मार्केटिंग और प्रमोशन
(vii) गंतव्य और उत्पाद विकास
(viii) निजी क्षेत्र की भागीदारी
(ix) साहसिक पर्यटन के लिए विशिष्ट रणनीतियां
(x) देश में साहसिक पर्यटन के विकास के लिए कोई अन्य उपाय।
उपरोक्त के अलावा, पर्यटन मंत्रालय राष्ट्रीय जल खेल संस्थान (एनआईडब्ल्यूएस), गोवा के विभिन्न कौशल विकास पाठ्यक्रमों के जरिए वाटर स्पोर्ट्स संचालकों को प्रशिक्षण प्रदान करता है और प्रशिक्षुओं को प्रमाणित करता है।
इसके अलावा, स्वदेश दर्शन की योजना के तहत तटीय सर्किट की पहचान एक विषयगत सर्किट के रूप में की गई थी ताकि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके। योजना के तटीय सर्किट विषय के तहत विभिन्न राज्यों में स्वीकृत परियोजनाओं का विवरण नीचे दिया गया है:
(राशि करोड़ में)
क्रम संख्या | राज्य का नाम | स्वीकृति का वर्ष | परियोजना का नाम | स्वीकृत राशि | जारी की गई राशि |
1. | आंध्र प्रदेश | (2014-15) | काकीनाडा का विकास – होप आइलैंड – कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य – पसारलापुडी – अदुरु – एस यनम – कोटिपल्ली | 67.84 | 67.84 |
2. | आंध्र प्रदेश | (2015-16) | नेल्लोर का विकास – पुलिकट झील – उब्बलमदुगु जलप्रपात – नेलापट्टू- कोथाकोडुरु- मायपाडु – रामतीर्थम – इस्कापल्ली | 49.55 | 47.76 |
3. | पुदुचेरी | (2015-16) | दुब्रयापेट का विकास – अरिकामेडु – वीरमपट्टिनम – चुन्नंबर – नल्लवडु / नरमबाई – मनापेट- कलापेट – पुदुचेरी – यनम | 58.44 | 61.82 |
4. | पश्चिम बंगाल | (2015-16) | समुद्र तट (बीच) सर्किट का विकास: उदयपुर- दीघा- शंकरपुर- ताजपुर- मंदारमणि- फ्रेजरगंज-बख्खलई- हेनरी द्वीप | 67.99 | 68.31 |
5. | महाराष्ट्र | (2015-16) | सिंधुदुर्ग तटीय सर्किट का विकास – सागरेश्वर, तारकरली, विजयदुर्ग (समुद्र तट और क्रीक), मितभव | 19.06 | 18.11 |
6. | गोवा | (2016-17) | सिंक्वेरिम-बागा, अंजुना-वागातोर, मोरजिम-केरी, अगुआड़ा किला और अगुआड़ा जेल का विकास | 97.65 | 92.76 |
7. | ओडिशा | (2016-17) | गोपालपुर, बरकुल, सतपाड़ा और ताम्परा का विकास | 70.82 | 63.56 |
8. | अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह | (2016-17) | लॉन्ग आइलैंड- रॉस स्मिथ आइलैंड- नील आइलैंड- हैवलॉक आइलैंड- बाराटांग आइलैंड-पोर्ट ब्लेयर का विकास | 27.57 | 20.89 |
9. | तमिलनाडु | (2016-17) | (चेन्नई-मममल्लापुरम-रामेश्वरम-मनपाडु-कन्याकुमारी) का विकास | 73.13 | 69.48 |
10. | गोवा | (2017-18) | तटीय सर्किट II का विकास: रुआ डी ओरम क्रीक – डोना पाउला – कोल्वा – बेनाउलिम | 99.35 | 94.38 |
कुल | 631.4 | 604.91 |
यह जानकारी केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।