पीरियड्स पर अब खुलकर बात करें गर्ल्सः अनुराग

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में मासिक धर्म पर अतिथि व्याख्यान

  • ख़ास बातें
  • मासिक चक्र महिलाओं के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा
  • ब्लीडिंग में गंदे कपड़ों का उपयोग संक्रमण का कारण
  • सैनेटरी पैड करें प्रयोग, पौष्टिक आहार लें और रहें तनाव मुक्त
  • गर्ल्स को बचपन से करें मासिक चक्र के बारे में अवेयर

ह्यूमन फॉर ह्यूमिनिटी के फाउंडर अनुराग चौहान ने कहा, पीरियड्स के दौरान महिलाओं में तमाम बदलाव देखने को मिलते हैं। नतीजतन वूमेन में मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, चिंता, नींद का न आना, पेट दर्द सरीखी तकलीफें होती हैं। पीरियड्स के टाइम ब्लीडिंग होने पर गंदे कपड़े के उपयोग से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कभी-कभी तो स्त्रियां डिप्रेशन में आ जाती हैं। मासिक चक्र महिलाओं के जीवन की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। ऐसे में महिलाओं को संक्रमण और तनाव से बचना होगा। श्री चौहान तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में मासिक चक्र का स्वास्थ्य पर प्रभाव और सावधानियों पर बतौर की-नोट स्पीकर बोल रहे थे। इससे पूर्व श्री चौहान के संग-संग, कॉलेज ऑफ नर्सिंग के प्रिंसिपल प्रो. श्रीनाथ के. कुलकर्णी और वाइस प्रिसिंपल प्रो. जैसलीन एम. ने मां सरस्वती के समक्ष संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर गेस्ट लेक्चर का शुभारम्भ किया। संचालन फैकल्टी डॉ. माया साहू ने किया।

इंपेक्ट ऑफ द वॉश प्रोजेक्ट ऑन मेंस्ट्रुअल हेल्थ इन इंडिया पर श्री चौहान ने बताया, पीरियड्स के दिनों में प्रायः महिलाएं गंदे कपड़े या राख का इस्तेमाल कर लेती हैं, जिससे वे संक्रमण का शिकार होे जाती हैं। संक्रमण से उनकी जान तक चली जाती है, इसीलिए पीरियड्स के समय पर शर्म या संकोच करने से बचें और सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करें। विशेषकर कॉटन के सैनेटरी पैड का उपयोग करना चाहिए। पौष्टिक आहार मसलन हरी सब्जियां, फल, दूध, दही, अंडे, सूखे मेवे आदि का सेवन करना चाहिए। मसालेदार पदार्थों की अनदेखी करें। परिजनों को भी इन दिनों विशेष ध्यान देना चाहिए। अचम्भा होता है, आज भी महिलाएं इसके बारे में बात करने से हिचकिचाती हैं। ऐसे में पीरियड्स को लेकर समाज में महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत है। गर्ल्स को बचपन से ही इसके बारे में अवेयर करना चाहिए, जिससे इसके प्रति उनमें डर न रहे। व्याख्यान के अंत में नर्सिंग के स्टुडेंट्स ने अपने अतिथि से सवाल भी पूछे। जैसे-पीरियड्स के दौरान महिलाओं को सही सैनेटरी पैड कैसे चुनना चाहिए? उपयोग किए गए सैनेटरी पैड को किस प्रकार डिस्पोज करना चाहिए? श्री चौहान के सोशल वर्क करने के प्रश्न पर पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग की छात्रा महनाज़ ने बताया, कोविड काल के दौरान उसने और उसके फेंड्स ने आपस में फंड एकत्र करके 10,000 सैनेटरी पैड्स का वितरण किया, जिस पर छात्रा के जवाब से खुश होकर अतिथि ने हौसलाफजाई करते हुए सभी प्रश्नों का जवाब देकर श्री चौहान ने स्टुडेंट्स की जिज्ञासा को शांत किया। नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. श्रीनाथ के कुलकर्णी ने मुख्य वक्ता श्री चौहान को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर फैकल्टी- डॉ. सारिका सक्सेना, डॉ. श्योली सेन, डॉ. रामनिवास, डॉ. जितेंद्र, डॉ. प्रभुजॉन, हेमलता, सरोजलता, बिजीमोल, श्री सुरेंद्र दाधीच, नीरजा, सरस्वती, प्रमोद, प्रियलता, हरिता, शिवानी, शिवांगी, श्री मोहित आदि मौजूद रहे।

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