देवभूमि की ऐतिहासिक रामलीला, यहां हर रोल में नजर आएंगी सिर्फ महिलाएं

त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है। जगह-जगह रामलीला का मंचन हो रहा है। बदलते वक्त के साथ रामलीला भी बदली है। मनोरंजन के दूसरे साधन आने के बाद दर्शकों में रामलीला का क्रेज कम हुआ है, लेकिन इसमें काम करने वाले कलाकारों में आज भी अभिनय के लिए खूब जुनून दिखता है। कुछ ऐसा ही जुनून इन दिनों अल्मोड़ा की महिलाओं में भी दिख रहा है। दरअसल शहर में पहली बार महिला रामलीला का आयोजन होने जा रहा है। इसमें राम से लेकर रावण तक सभी किरदार महिलाएं ही निभाएंगी। कर्नाटक खोला रामलीला कमेटी से इसकी शुरुआत होगी। कुमाऊं की सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा में रामलीला की शुरुआत हुए 161 साल हो गए हैं। इस दौरान रामलीला मंचन में कई बदलाव सामने आए हैं। लंबे समय तक सभी पात्रों का अभिनय पुरुष ही करते आए, लेकिन 90 के दशक में छोटी बच्चियों ने भी रामलीला में भूमिका निभानी शुरू की। अब ये शहर पहली बार महिला रामलीला के आयोजन का गवाह बनने जा रहा है।

यहां आपको अल्मोड़ा की रामलीला का इतिहास भी बताते हैं। इसकी शुरुआत साल 1860 में मालरोड में बद्रेश्वर मंदिर से हुई थी। उस दौर में डिप्टी कलेक्टर रहे स्व. देवीदत्त जोशी को इसका श्रेय दिया जाता है। विख्यात नृत्य सम्राट पं. उदय शंकर ने यहां रामलीला को लेकर नए प्रयोग किए। छाया चित्रों के माध्यम से रामलीला प्रस्तुत की। वर्तमान में नंदा देवी, लक्ष्मी भंडार हुक्का क्लब, राजपुरा, धारानौला, एनटीडी और खत्याड़ी आदि स्थानों में लीला का मंचन हो रहा है। इस साल कर्नाटकखोला की भुवनेश्वर महादेव रामलीला कमेटी महिला रामलीला का आयोजन करने जा रही है। इसकी शुरुआत 16 अक्टूबर से होगी। कमेटी के संरक्षक पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने बताया कि मातृशक्ति को आगे लाने के लिए यह पहल की गई है। यह पहला मौका है कि जब रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण जैसे किरदार में महिलाएं दिखेंगी। कर्नाटकखोला की भुवनेश्वर महादेव रामलीला कमेटी ने गत वर्ष महिला रामलीला कराने की घोषणा की थी

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