आज से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन, बनाने या बेचने पर होगी 7 साल कैद, 1 लाख तक जुर्माना
नई दिल्ली। शुक्रवार 1 जुलाई से केंद्र सरकार ने देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर दिया है। सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंधित करने के बाद इसके प्रोडेक्ट को बनाने या बेचने पर 7 साल की जेल और 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
एक जुलाई से आम लोगों पर प्रतिबंधित उत्पादों का इस्तेमाल करने पर 500 से दो हजार रुपये का जुर्माना होगा। वहीं औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पाद, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत दंड का प्रावधान होगा। ऐसे लोगों पर 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर पांच साल की जेल या दोनों सजा भी दी जा सकती है। उत्पादों को सीज करना, पर्यावरण क्षति को लेकर जुर्माना लगाना, इनके उत्पादन से जुड़े उद्योगों को बंद करने जैसी कार्रवाई भी शामिल है।
प्रतिबंधित किये जाने वाली सामग्री में सिंगल यूज प्लास्टिक के आइटम जैसे ईयरबड्स, गुब्बारे की प्लास्टिक डंडी, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की प्लास्टिक डंडी, आइसक्रीम की प्लास्टिक डंडी, थर्माकॉल के सजावटी सामान, प्लास्टिक की प्लेट, कप, ग्लास, कांटे, चम्मच, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बे पैक करने वाली पन्नी, इनविटेशन कार्ड पर लगाई जाने वाली पन्नी, सिगरेट पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली पन्नी, 100 माइक्रोन से पतले पीवीसी व प्लास्टिक के बैनर आदि शामिल हैं।
मौजूदा वक्त में मार्केट में इस तरह के उत्पाद भरे हुए हैं और इन्हें लेकर व्यापारियों में भी डर है। हालांकि व्यापारी संगठन यह कह रहे हैं कि वह प्लास्टिक के समर्थन में नहीं हैं, लेकिन इन उत्पादों पर अभी बैन के पक्ष में भी नहीं हैं।
केंद्र सरकार के मुताबिक देश में 2018-19 में 30.59 लाख टन और 2019-20 में 34 लाख टन से ज्यादा सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा जेनरेट हुआ था। सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजें न तो डीकंपोज होती हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है, क्योंकि इससे जहरीले धुएं से हानिकारक गैस निकलती है। ऐसे में रिसाइक्लिंग के अलावा स्टोरेज करना ही एकमात्र उपाय होता है।
प्लास्टिक को लेकर टॉक्सिक लिंक की एक स्टडी 2019 में सामने आई थी। इसमें बताया गया था कि दिल्ली में उपयोग होने वाला ज्यादातर सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट (कचरा) इन्फॉर्मल सेक्टर (रीसाइकलिंग प्लांट की जगह अन्य जगहों पर पहुंचने वाले कचरे) में जा रहा है। कई प्लास्टिक ऐसे हैं, जिन्हें कोई लेने को तैयार नहीं है। इनमें खाने के सामानों के पैकेट, नूडल्स के पैकेट, बिस्किट और चिप्स के मल्टी लेयर पैकेट आदि शामिल हैं। सर्वे में यह भी पाया गया कि रीसाइकलिंग प्लांट दवाइयों और बिस्किट की पैकिंग के पाउच और ट्रे लेने के लिए भी तैयार नहीं होते। इनका महज 20 फीसदी हिस्सा ही रीसाइकलिंग प्लांट तक पहुंचता है। इस प्लास्टिक कचरे का दोबारा इस्तेमाल करना व्यवहारिक नहीं है। इसलिए यह राजधानी की लैंडफिल साइटों पर ही जाता है। स्टडी के अनुसार, राजधानी के सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट में शैंपू, बॉडी वॉश, पेन, पेट बॉटल, ट्यूब्स आदि की मात्रा काफी अधिक है। यह प्लास्टिक लैंडफिल साइट में पड़े.पड़े मिट्टी, पानी आदि को प्रदूषित कर रही है।