टीएमयू में सिर चढ़कर बोला बड़े फनकारों का जादू

मोहन वीणा वादक- श्री विश्व मोहन भट्ट और श्री सलिल भट्ट की थिरकती उंगलियों, उस्ताद अनवर खां के जोशीले सुर, तबले की ताल, ढोलक की थाप और खड़ताल के संगम पर झूमा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का ऑडिटोरियम

मोहन वीणा पर थिरकती उगंलियां, निकलते सुर, तबले की ताल और ढोलक की थाप ने कल्चरल फेस्टिवल- परम्परा को अविस्मरणीय बना दिया। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट और वाह-वाह से गूंज उठा। इन वाद्य यंत्रों के संगम ने संगीत लहरी में बार-बार डुबकी लगाने को मजबूर कर दिया। ग्रैमी अवार्ड और पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित श्री विश्व मोहन भट्ट ने जैसे ही मोहन वीणा पर राग विश्व रंजनी के सुर छेड़े तो मुकम्मल ऑडिटोरियम श्रोताओं की ओर से पिन ड्रॉप साइलेंट मोड में हो गया, लेकिन सुरों के इस संगम में जब तबले की थाप पर सह कलाकार श्री अभिषेक मिश्रा ने जुगलबंदी शुरू की तो स्टुडेंट्स से खचाखच भरे ऑडी का मिजाज एकदम बदल गया। तालियों का शोर… वाह, उस्ताद वाह सरीखे शब्द मुंह से स्वतः ही निकलने लगे। स्टुडेंट्स उल्लास से भर गए। सुर और ताल की इस महफिल में चार चांद उस वक्त लग गए, जब राजस्थानी सूफी गायक एवम् पदमश्री से सम्मानित उस्ताद अनवर खां ने अपनी जोशीली आवाज में केसरिया बालमा पधारो म्हारे देस गीत सुनाया। कुछ समय के लिए ऑडी राजस्थानी रंग से सराबोर हो गया। मधुर आवाज ने सभी को मदहोश कर दिया। इसके बाद उन्होंने सावन के मौसम को देखते हुए राग देस में बालम जी म्हारा झिलमिल बरसे मेघ सुनाया तो हर कोई झूमने पर मजबूर हो गया। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में मनाए जा रहे तीन दिनी आजादी के अमृत महोत्सव एवम् टीएमयू की 21वीं वर्षगांठ पर आयोजित कल्चरल फेस्टिवल-परम्परा 2022 की शुरूआत पदम भूषण से सम्मानित विश्व मोहन भट्ट ने मोहन वीणा पर राग विश्व रंजनी से की। उन्होंने राग मधुवंती और राग शिवरंजनी को मिलाकर खुद इसकी रचना की है। उनके साथ उस्ताद सलील भट्ट ने संगत करते हुए समां बांध दिया। इन दोनों की जुगलबंदी के बीच जब तबले पर अभिषेक मिश्रा ने ताल ठोकी तो हर कोई उनका कायल हो गया। इसी बीच ढोलक पर सह कलाकार फिरोज खान ने थाप दी तो साथी कलाकार कुफला खान ने खड़ताल बजाकर सभी को जोश से भर दिया। इन वाद्य यंत्रों का संगम देख सभागार में मौजूद मेहमान और मेजबान मंत्रमुग्ध हो गए। परम्परा के दूसरे दिन 14 जुलाई को कव्वाली गायन के लिए बॉलीवुड में बजरंगी भाईजान फेम निज़ामी बंधु- उस्ताद चंद निजामी, शादाब फरीदी और सोहराब फरीदी निजामी आदि अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगे, जबकि संस्कृति एवम् विदेश राज्य मंत्री, भारत सरकार श्रीमती मीनाक्षी लेखी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगी। डीन छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह ने कहा है, संगीत प्रेमी निजामी बंधुओं के कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं।

दीप प्रज्ज्वलन के संग कल्चरल फेस्टिवल- परम्परा 2022 का शंखनाद
जिला पंचायत अध्यक्षा, मुरादाबाद डॉ. शैफाली सिंह के संग-संग तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, गांधी पब्लिक स्कूल के ट्रस्टी श्री अशोक सिंघल, श्री रवि सिंघल, ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा आदि ने अपने करकमलों से मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके सम्पूर्ण सभागार को आध्यात्मिक आलोक से प्रकाशित कर दिया। श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन और सुश्री नंदिनी जैन की भी परम्परा में उल्लेखनीय मौजूदगी रही। इसी के साथ कल्चरल फेस्टिवल- परम्परा 2022 का शंखनाद हो गया। इस मौके पर बड़े उस्तादों, सह कलाकारों और सभी मेहमानों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। गुरू पूर्णिमा पर संचालन की जिम्मेदारी का निर्वाहन डॉ. सुगंधा जैन ने किया। इस अविस्मरणीय मौके पर मेहमानों को शॉल ओढ़ाकर स्मृति चिन्ह भी भेंट किए गए।

भट्ट की चाह, अगले जन्म में टीएमयू का स्टुडेंट बनूं
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के आभामंडल से गदगद पदमभूषण श्री विश्व मोहन भट्ट आखिरकार अपने मन की बात कहने से रोक नहीं पाए। बोले, मैं दुनिया के लगभग 80 देशों में घूम चुका हूं, लेकिन टीएमयू का दुनिया में कोई भी शिक्षण संस्थान सानी नहीं है। इसकी बेमिसाल भव्यता को देखकर मेरी इच्छा है कि अगले जन्म में मैं यहीं का स्टुडेंट बनूं। उल्लेखनीय है कि टीएमयू के दीक्षांत समारोह में यूपी के तत्कालीन गवर्नर श्री रामनाईक ने भी यूनिवर्सिटी के इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर कहा था, काश, मैं भी यहीं का स्टुडेंट होता। श्री भट्ट के बेटे श्री सलील भट्ट बीच-बीच में ओडी में मौजूद छात्रों की हौसलाफजाई करने से नहीं चूके। वंदेमातरम…वंदेमातरम… के नारे लगवाकर न केवल स्टुडेंट्स में जोश भर दिया, बल्कि उरी फिल्म के बहुचर्चित संवाद हाउ इज द जोश…के जरिए देशभक्ति भी जगा दी। उन्होंने गुरू पूर्णिमा पर गुरूओं का भी भावपूर्ण स्मरण किया।

कुलाधिपति ने गिनाईं टीएमयू की बेशुमार उपलब्धियां
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने यूनिवर्सिटी की उपलब्धियों को गिनाते हुए इसका श्रेय उत्कृष्ट फैकल्टी को दिया। बोले, नर्सिंग कॉलेज में हम न केवल इंडिया में सर्वाधिक सीटें रखते हैं, बल्कि पैरामेडिकल कॉलेज पर भी हमें नाज है। एग्रीकल्चर कॉलेज का जिक्र करते हुए बोले, आईसीएआर के एकक्रेडिटेशन के बाद टीएमयू एग्रीकल्चर कॉलेज इंडिया के टॉप टेन कॉलेजों में शुमार हो गया है। आपको यह जानकर हैरत होगी, इस कॉलेज में सर्वाधिक छात्र कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल और आंध्रप्रदेश के हैं। भाषा और खान-पान में काफी अंतर होने के बावजूद वे टीएमयू को चुनते हैं। हमने होटल मैनेजमेंट का कोर्स प्रारम्भ किया था, लेकिन नोनवेज की वजह से हमने इसे बंद कर दिया। हम अपनी मान्यताओं पर अडिग हैं। ऐसे में ईश्वर भी हमारी सुनता है।

पचास इंटर कालेजों के प्राचार्यों का भी मिला स्नेह
कल्चरल फेस्टिवल- परम्परा में एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन, डीन छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह, निदेशक सीसीएसआईटी प्रो. आरके द्विवेदी, निदेशक टिमिट प्रो. विपिन जैन, पैरामेडिकल के वाइस प्रिंसिपल प्रो. नवनीत कुमार, प्रिंसिपल डेंटल कॉलेज प्रो. मनीष गोयल, निदेशक हॉस्पिटल श्री अजय गर्ग, परीक्षा नियंत्रक डॉ. प्रदीप अग्रवाल, कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा, निदेशक सीटीएलडी प्रो. आरएन कृष्णिया, मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल प्रो. एसके जैन, टिमिट कॉलेज फिजिकल एजुकेशन के प्राचार्य प्रो. मनु मिश्रा, नर्सिंग के प्रिंसिपल प्रो. श्रीनाथ के. कुलकर्णी, नर्सिंग के वाइस प्रिंसिपल प्रो. एम. जसलीन, फिजियोथैरेपी की प्राचार्या डॉ. शिवानी एम. कौल, सीसीएसआईटी के एचओडी प्रो. एके सक्सेना, ज्वाइंट डायरेक्टर एडमिशन श्री अवनीश कुमार, फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की प्राचार्या प्रो. रश्मि मेहरोत्रा, ज्वाइंट रजिस्ट्रार रिसर्च डॉ. ज्योति पुरी, ज्वाइंट रजिस्ट्रार टिमिट डॉ. अलका अग्रवाल, प्रो. श्याम सुंदर भाटिया आदि की मौजूदगी रही, जबकि राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, सामाजिक कार्यकर्ता और ह्यूमन फॉर ह्यूमैनिटी एंड ब्रीथिंग आर्ट्स के संस्थापक श्री अनुराग चौहान और ब्रीथिंग आर्ट्स के सलाहकार बोर्ड की सदस्य श्रीमती चारू सानन की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। ख़ास बात यह रही, गुरू पूर्णिमा पर मुरादाबाद के 50 से अधिक इंटर कालेजों के प्राचार्यों की भी परम्परा मंे गरिमामयी मौजूदगी रही।

संगीत दर्शनीय नहीं, श्रवणीय होना चाहिएः भट्ट
पदमभूषण एवम् मोहन वीणा वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट बोले, हमारा घराना 300 सालों से संगीत सेवा के पुण्य कार्य में तल्लीन है। संगीत की शुद्धता और आधुनिक फ़िल्मी संगीत के बारे में पूछने पर बोले, संगीत दर्शनीय नहीं होना चाहिए यह शुद्ध रूप से श्रवणीय है। यह पूछने पर कि राग क्या है? पंडित भट्ट ने कहा, जो रंजन करे, वह राग है। रागों के इतिहास पर बोले, रागों की शुरुआत 5,000 वर्ष से भी प्राचीन है। पदमभूषण बोले, समस्त मन्त्रों का उच्चारण भी तीन प्रकार के रागों से होता है। वह आज़ादी के अमृत महोत्सव और तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के 21वीं वर्षगांठ के अवसर पर तीन दिवसीय कल्चरल फेस्टिवल- परंपरा से पूर्व आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे।

श्री भट्ट कुलाधिपति श्री सुरेश जैन की ओर इशारा करते हुए बोले, ऐसे लोग ही भारतीय संगीत की परम्परा को जीवित रखे हुए हैं। दरअसल पत्रकारों ने पूछा था, सरकारों और संस्थाओं का संगीत की दुनिया में क्या योगदान है? प्रेस कांफ्रेंस में कुलाधिपति के संग-संग ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन की भी गरिमामयी मौजूदगी रही। प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों और इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रतिनिधियों की मांग पर प्रसिद्ध लोक गायक पदमश्री उस्ताद अनवर खान ने राम भजन सुनाकर संगीत की गंगा-जमुनी तहजीब का उदाहरण प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया। वह बोले, शास्त्रीय संगीत में हर अवसर के लिए हजारों लोकगीत हैं, लेकिन आज की पीढ़ी का जुड़ाव इनके साथ दिनोंदिन कमजोर हो रहा है। आज की व्यस्त जीवनशैली के लिए इनको पुनर्जीवित करना अत्यन्त आवश्यक है।

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