ऐसा शिक्षक जिसने देश के बच्‍चों केे बच्‍चों का भविष्‍य संवारने के लिए लाखों का विदेशी प्रस्‍ताव ठुकराया

उत्तराखंड का एक ऐसा शिक्षक जिसके प्रमोशन होने के बाद विदाई के मौके पर गांव के हर शख्स की आंखों में आंसू थे। बच्चे टीचर से लिपट-लिपट रोते-बिलखते दिखे तो इलाके की बुजुर्ग महिलाएं उसे गले लगाकर लगातार रोती रहीं। सबकी जुबान पर एक ही बात थी मास्टरजी हमें छोड़कर मत जाओ। डेढ़ वर्ष पहले पहले देश-दुनियां ने यह वीडियो देखा था। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी रोड व साढ़े 4 किमी पैदल दूरी पर स्थित राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली एलटी टीचर टीचर आशीष डंगवाल ने जब भंकोली छोड़ा था तो वहां यही नजारा था। प्रमोश के बाद करीब डेढ़ वर्ष से वे राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत टिहरी गढ़वाल में तैनात हैं। कुछ समय पूर्व राजनीति विज्ञान के शिक्षक आशीष डंगवाल को इंडो-अफ्रीकन अंतरराष्ट्रीय संगठन की ओर से अपने साथ काम करने का ऑफर दिया गया। यह संगठन नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के साथ भी जुड़ा है, लेकिन आशीष ने यह कहकर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था कि वह अपना देश, अपना राज्य छोड़कर विदेश में नहीं बसना चाहते। वे समाज के सक्षम लोगों को अपने साथ जोड़कर वह स्कूल के विकास में उनकी भी सहभागिता बढ़ाते हुए कम संसाधनों में नए प्रयोग करके बच्चों के लिए सरकारी स्कूल को स्मार्ट स्कूल बनाना चाहते हैं। बेटियों को शिक्षा में अच्छा मुकाम दिलाने के लिए वे आजकल भारती प्रोजक्ट पर काम कर रहे हैं। विदेश में लाखों की नौकरी के प्रस्ताव को ठुकरा कर अपने क्षेत्र और देश के बच्चों का भविष्य संवारने की चिंता करने वाले ऐसे ही शिक्षक हमारे गौरव हैं। आज समाज को ऐसे ही शिक्षकों की आवश्यकता है।

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