शिक्षा विभाग में चहेतों के लिए सारे नियम ताक पर

जब सारा सिस्टम ही आकंठ भ्रष्टाचार में डूब चुका हो तो वहां कुछ भी संभव है। ऐसे में चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियम कानून ताक पर रख दिये जाते हैं। तबादला एक्ट बेमानी साबित हो रहा है। सरकारी नियमों और आदेशों की ऐसी जलेबी बनाई जाती है कि आम आदमी चक्कर खा कर रह जाता है। विभाग के शातिर लोगों के पास हर सरकारी आदेश का तोड़ मौजूद होता है। ऐसा ही मामला उत्तराखण्ड शिक्षा विभाग का है जिसमें चहेतों को एडजस्ट करने के लिए आदेशों को ताक पर रख कर नियमों का तोड़ निकाल लिया जाता है। शिक्षा मंत्री और बड़े अधिकारी दुनियांभर की डींगे हांकते हैं, लेकिन असल में दीपक तले अंधेरा ही है। उसका सबसे बड़ा उदाहरण यह कि दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को सुगम में लाने के लिए विभाग में पहले वर्ष 2017 में शिक्षा निदेशालय देहरादून में एक विशेष शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया गया। इस प्रकोष्ठ में नैनीताल से एस जोशी, रुद्रप्रयाग से प्रणय बहुगुणा और ऊधमसिंह नगर से उमेश शाह और टिहरी जिले से ऊषा गैरोला की तैनाती की गई। एक मंत्री के साथ अटैच भौतिक विज्ञान के लेक्चरर प्रणय बहुगुणा और भाजपा के एक बड़े नेता की शिक्षिका पत्नी ऊषा गैरोला का विभाग ने सचिव के आदेश के बाद अटैचमेंट तो खत्म कर दियाए लेकिन इन शिक्षकों को उसी दिन मूल तैनाती पर भेजने के बजाय डायट देहरादून में तैनाती दे दी गई। इसके अलावा एक अन्य मंत्री की सिफारिश पर उनके पीआरओ की शिक्षिका पत्नी का उत्तरकाशी से डायट देहरादून में तबादला कर दिया गया। शिकायत प्रकोष्ठ के नाम पर विभिन्न जिलों से देहरादून लाए गए इन शिक्षकों में से प्रणय बहुगुणा व एस जोशी एक मंत्री के साथ अटैच रहे। शिक्षा सचिव राधिका झा ने 13 सितंबर 2021 को प्रदेश के सभी शिक्षकों के अटैचमेंट समाप्त करने का आदेश जारी कियाए लेकिन विभाग ने उसी दिन शून्य तबादला सत्र के बावजूद लेक्चरर प्रणय बहुगुणा, ऊषा गैरोला और सरिता रावत की डायट देहरादून में तैनाती कर दी। 

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