पत्रकारिता के भीष्म पितामह डा. कमलकांत बुधकर पंचतत्व में विलीन

हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, कवि एवं लेखक डा. कमलकांत बुधकर का आज सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। आज सुबह करीब 7.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली, उनके निधन से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है। उनका अंतिम संस्कार आज खड़खड़ी स्थित शमशान घाट पर वैदिक रिती रिवाज के साथ कर दिया गया। उनकी पार्थिव देह को उनके ज्येष्ठ सुपुत्र सौरभ बुधकर ने मुखाग्नि दी। इससे पूर्व उनके निवास पर ही नेत्र चिकित्सकों की टीम ने परिजनों की सहमति से जरुरतमंद दृष्टीहीन को नेत्र प्रत्यारोपण के लिये बुधकर जी के नेत्र प्राप्त किये। शहर के धार्मिक, आध्यात्मिक, व्यापारिक, सामाजिक संस्थाओं से जुड़े अनेक लोगों ने उनके निधन पर शोक जताते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।


डा. कमलकांत बुधकर प्रेस क्लब हरिद्वार के संस्थापक महामंत्री रहे हैं। वे वर्तमान में उत्तराखंड के मीडिया कर्मियों की प्रमुख संस्था नेशनलिस्ट यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स के सदस्य थे। पूर्व मे में यूनियन की हरिद्वार इकाई के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। कमलकांत बुधकर उत्तराखंड ही नहीं देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकारों में शामिल थे। आक्सीजन लेवल डाउन होने व सांस लेने में परेशानी होने पर उन्हें सुबह रामकृष्ण मिशन हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन वहां के इमरजेंसी में तैनात स्टाफ ने उन्हें अटेंड नहीं किया जिसके बाद एंबुलेंस से उन्हें मैक्सवेल हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। वह 72 वर्ष के थे और पिछले काफी समय से पैरालिसिस से जूझ रहे थे। अगर रामकृष्ण मिशन हॉस्पिटल में उन्हें समय पर उपचार मिल जाता तो शायद उन्हें बचाया जा सकता था। हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विषय के एसोसिएट प्रोफेसर रहे कमलकांत बुधकर हरिद्वार प्रेस क्लब के भी संस्थापक रहे हैं। उन्होंने साप्ताहिक पत्रिकाओं से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की और लंबे समय तक नवभारत के हरिद्वार प्रभारी भी रहे। पत्रकार के रूप में बुधकर पिछले 28 वर्षों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन कार्य करते रहे और उनकी रचनाएं भी प्रकाशित होती रही हैं। इस समय वह हिंदी मासिक उत्तर पथ में अति० संपादक थे। उनके निधन से पत्रकार जगत में शोक की लहर है।
19 जनवरी 1950 को हरिद्वार में जन्मे मराठी भाषी डॉ. कमलकांत बुधकर शिक्षक के रूप में 1972 से ही विभिन्न स्नातक महाविद्यालयों में हिन्दी प्राध्यापक और 1990 से गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में हिन्दी पत्रकारिता के प्राध्यापक के रूप में कार्यरत रहे।


कमलकांत बुधकर के निधन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय समेत पत्रकारों, सामाजिक संगठनों, राजनैतिक दलों व गणमान्य लोगों ने शोक व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!