टिकैत को बड़ा झटका : किसान यूनियन दो फाड़

मुजफ्फरनगर से लखनऊ तक राकेश टिकैत की दौड़ किसी काम नहीं आयी और उनके स्वर्गवासी पिता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर ही भारतीय किसान यूनियन दो फाड़ हो गयी। दो दिन तक लखनऊ में डटे रह कर असंतुष्टों को मनाने के उनके सारे प्रयास असफल हो गये। लखनऊ के गन्ना शोध संस्थान में हुए एक कार्यक्रम में मूल भारतीय किसान यूनियन को बदलकर भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) बना दिया गया। असंतुष्टों ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान के नेतृत्व में नई भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) की घोषणा कर दी है। जिसमें राजेश सिंह चौहान, अध्यक्ष, मांगेराम त्यागी को उपाध्यक्ष, अनिल तालान को महासचिव, धर्मेन्द्र मलिक को प्रवक्ता और बिन्दु कुमार को कोषाध्यक्ष बनाया गया है।

दरसल हजारों किसानों का नेतृत्व करने वाली भारतीय किसान यूनियन की पूरी कार्यकारिणी और कई पदाधिकारी होने के बावजूद पूरी किसान यूनियन की राजनीति, किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के इर्द गिर्द ही घूमती रही है। जिस कारण संगठन में वर्षों पुराने समर्पित पदाधिकारी आगे नहीं बढ़़ पाये। संगठन में टिकैत की तूती बोलती रही है। विगत कुछ वर्षों में जिस तरह एक राजनैतिक पार्टी के पक्ष में उनका झुकाव रहा उससे कई किसान नेता खफा थे। वही बात अब खुल कर सामने भी आ गयी है। नई भाकियू (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने राजेश सिंह चौहान ने खुद ही आरोप लगाया कि नरेश टिकैत और राकेश टिकैत राजनीति करने वाले लोग हैं। इनके द्वारा विधानसभा चुनाव में एक दल का प्रचार करने के लिए कहा गया था।
राजेश सिंह ने कहा- मेरा काम राजनीति करना नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘कार्यकारिणी ने निर्णय लिया है कि मूल भारतीय किसान यूनियन की जगह अब भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) का गठन किया गया। मेरा 33 साल संगठन का इतिहास है। 13 महीने के आंदोलन के बाद जब हम घर आए तो हमारे नेता राकेश टिकैत राजनीतिक तौर पर प्रेरित दिखाई दिए। हमने उसने बात की। उन्होंने कहा कि हम अराजनैतिक लोग हैं। हम किसी भी राजनीतिक संगठन के सहयोग में नहीं जाएंगे।’’
उन्होंने कहा ‘‘हमने देखा कि हमारे नेताओं ने कुछ राजनीतिक दल के प्रभाव में आकर एक दल के लिए प्रचार करने के लिए आदेशित किया। मैंने इसका विरोध किया। लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी। चुनाव के बाद कहा गया कि ईवीएम की रक्षा करें। हमने कहा कि यह किसानों का काम नहीं है। मैंने उसका भी विरोध किया। यह राजनीतिक दल के लोगों का काम है।’’
भाकियू के उपाध्यक्ष मांगेराम त्यागी ने भी कहा है कि संगठन का नेतृत्व बाबा टिकैत के आदर्शों से भटक गया है। बिजली, खाद, पानी के मुद्दों पर संघर्ष की बजाय ईवीएम की रक्षा करने में लग गया है, जो किसान संगठन का काम नहीं है। भाकियू अराजनीतिक था।

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