विदेशी महिला का पानी के लिए हंगामा
भारत की संस्कृति से प्रभावित होकर कोई विदेशी भारत की नागरिकता ले और उसे यहां पानी भी नसीब न हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है हमारा सिस्टम कितना नकारा हो चुका है। भ्रष्ट और रिश्वतखोर अधिकारी किस कदर आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हैं यह किसी से छिपा नहीं है। भारत की नागरिकता लेने के बाद कोटद्वार क्षेत्र के देवलीखाल में जर्मनी की एक महिला 2 साल से किराये के मकान में रह रही है। लेकिन आये दिन पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने के जल संस्थान द्वारा उसे ठीक न कराये जाने से वह इतनी आक्रोशित हुई कि उसने जल संस्थान कार्यालय पहुंच कर हंगामा कर दिया। उसने कार्यालय में धरना देकर अधिकारियों को खूब खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि पानी नहीं आने पर उसे एक बाल्टी पानी 50 रुपये में खरीदना पड़ रहा है। उसने कहा कि पिछले दो महीने से देवीखाल क्षेत्र के छह गांवों की खराब पेयजल लाइन की मरम्मत के लिए वह एसडीएम से लेकर जलसंस्थान कार्यालय के चक्कर काट चुकी है। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। जबकि पेयजल लाइन की मरम्मत पर खुद रुपये भी खर्च कर चुकी है। महिला का कहना था कि क्षेत्र के गांवों में बच्चे और बुजुर्ग जंगल के रास्ते होकर गदेरे के पास प्राकृतिक स्रोत से पानी ढोते हैं। जहां गुलदार का खतरा है। लोग जान जोखिम में डालकर प्राकृतिक स्रोत से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। उसने कहा कि वह गांव में किराए के मकान में अकेली रहती है और जंगल जाने में असमर्थ है। ऐसे में एक बाल्टी पानी के 50 रुपये देकर गांव के लोगों से अपने लिए पानी की व्यवस्था कर रही है। काफी देर तक महिला के हंगामा करने पर जलसंस्थान के अधिशासी अभियंता एलसी रमोला ने पुलिस को बुला लिया। जलसंस्थान कार्यालय पहुंची पुलिस उपनिरीक्षक दीपा मल ने महिला को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। काफी देर तक हंगामे के बाद महिला लिखित रूप से शिकायत देने को तैयार हुई, जिसके बाद मामला शांत हुआ।