नाबालिग गैंगरेप मामले में पूर्व पंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति दोषी करार
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को चित्रकूट की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म के प्रयास के आरोप में सहयोगी आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी सहित एमपी.एमएलए कोर्ट ने दोषी ठहराया है। जबकि विकास वर्माए चंद्रपालए रूपेशए अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू को कोर्ट ने बरी कर दिया है। इसके पहले गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर से सुनवाई टालने की मांग की गई। मामले में गायत्री प्रजापति ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया। लेकिन हर तरफ से गायत्री प्रसाद प्रजापति को निराशा हाथ लगी। गौरतलब है कि चित्रकूट की पीड़ित महिला ने 18 फरवरीए 2017 को लखनऊ के गौतम पल्ली थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि सपा सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति समेत सभी आरोपियों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी दुष्कर्म का प्रयास किया। खनन का कार्य दिलाने के लिए आरोपियों ने महिला को लखनऊ बुलाया। इसके बाद कई जगहों पर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। महिला का आरोप है कि उसने घटना की विस्तृत रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक को सौंपी लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में सपा के खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत सात लोगों पर गैंगरेप, जान से मारने की धमकी देने और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले मे जून 2017 में पुलिस ने 824 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। मामला करीब चार सालों तक चला। अभियोजन की तरफ से 17 गवाह पेश किए गए। कोर्ट ने गवाहों और चार्जशीट पर गायत्री प्रजापति को दोषी करार दिया।
गायत्री प्रसाद प्रजापति वर्ष 2012 में सपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। मुलायम सिंह के करीबी गायत्री अखिलेश सरकार में सिंचाई राज्य मंत्री बनाए गए। हालांकि कद बढ़ने के साथ ही बाद में उन्हें भू-तत्व एवं खनिकर्म विभाग का कैबिनेट मंत्री व अंत में परिवहन मंत्री बननाया गया था।