संस्कृत विश्वविद्यालय में हरेला पर्व पर हुआ पौंधारोपण

हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में उत्तराखंड का हरेला लोकपर्व पौंधा रोपण कर मनाया गया।विश्वविद्यालय परिसर में छायादार पौंधों का रोपण कर कार्यक्रम की शुरुआत कुलपति द्वारा की गई। इस मौके पर कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा प्राचीन काल से ही उत्तराखंड के अनेक अंचलों में प्रकृति के संरक्षण के लिए हरियाली के प्रतीक हरेला पर्व को मनाने की परंपरा है,मानव हमेशा से ही प्रकृति के साथ पर्यावरण बचाने का हिमायती रहा है, इस बात का ज़िक्र हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी बहुतायत मिलता है। भरतीय ऋषि मुनियों ने हमें इसकी विरासत आदिकाल से ही सौंपी है,हमें इसके संरक्षण के लिए आज आगे आकर पहल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हरेला प्रकृति की हरियाली का पर्व है, वेद शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख कई जगहों में मिलता है , पर्यावरण की रक्षा करना हम सबका नैतिक कर्तव्य है इसके लिए प्रत्येक मानव को वर्षभर में एक बार पेड़ अवश्य लगाने चाहिए। कुलपति ने कहा कि मनुष्य के अस्तित्व के लिए वृक्षारोपण जरूरी है।उन्होंने कहा हरेला पर्व उत्तराखण्ड की संस्कृति का परिचायक है, इसलिए विश्विद्यालय ऐसे पर्वों को आवश्यक रूप से मनाने के लिए संकल्पबद्ध है।
कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने पर्यावरण की रक्षा के लिए पौधारोपण किये जाने को समय की मांग बताया। उन्होंने कहा कि वृक्षों के बिना मानव के अस्तित्व की बात सोचना कठिन है,हमें अधिक से अधिक पेड़ों को लगाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। इस अवसर पर विश्विद्यालय के प्राध्यापक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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