पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोले राष्ट्रपति, स्वामी रामदेव ने बदली योग की परिभाषा

दो दिन के दौरे पर हरिद्वार पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज पतंजलि विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। पतंजलि पहुंच कर उन्होंने योग गुरू बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात की। जिसके बाद पतंजलि विश्वविद्यालय के दीक्षंत समारोह में शामिल होकर डिग्री पाने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि दस से पंद्रह वर्ष पूर्व भारत में योग को एक तपस्या माना जाता था। ऐसा लोग समझते थे कि संन्यासी ही योग कर सकते हैं। लेकिन स्वामी रामदेव ने योग की परिभाषा को बदल दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि पतंजलि समूह के शिक्षण संस्थान में भावी पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार किया जा रहा है। जिससे भारतीयता का विकास हो रहा है। उन्होंने कहा पतंजलि शिक्षण संस्थान के माध्यम से देश की ज्ञान परपंरा को संपूर्ण विश्व प्रसारित किया जा सकेगा। ऐसे में विदेशी विद्यार्थी भारतीय मूल्यों और विचारों को प्रचार-प्रसार कर सकेंगे। इसमें पतंजलि विश्वविद्यालय का अहम योगदान रहेगा। योग की लोकप्रियता को बढ़ाने में योग गुरू बाबा रामदेव के प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज  योग से अनगिनत लोगों को फायदा पहुंचा है। भारत सरकार के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग दिवस घोषित किया। 2016 में यूनेस्को ने विश्व की अमूल्य धरोहर की सूची में योग को शामिल किया। उन्होंने कहा कि योग पंथ संप्रदाय से नहीं जुड़ा है, बल्कि शरीर और मन को स्वस्थ रखने की यह पद्धति है। इसलिए योग को हर विचारधारा के लोगों ने अपनाया। सूरीनाम और क्यूबा का उदाहरण देते उन्होंने कहा कि साम्यवादी देशों में भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह धूमधाम से आयोजित किया जाता है।

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