शासनादेश में समाहित करने हेतु भेजे गये पत्रकार कल्याण से संबंधित प्रस्ताव

विगत दिनो देहरादून में आयोजित पत्रकार कल्याण कोष समिति की बैठक में समिति के गैर सरकारी सदस्यों द्वारा पत्रकारों के हित में दिये गये महत्वपूर्ण प्रस्ताव सूचना एवं लो.सं.विभाग उत्तराखण्ड द्वारा शासनादेश में समाहित करने के लिए शासन को भेज दिये गये हैं। पत्रकार कल्याण कोष समिति के सदस्य वरि. पत्रकार त्रिलोक चन्द्र भट्ट, रमेश पहाड़ी, योगेश भट्ट और बीना उपाध्याय कुछ समय पूर्व पत्रकार पेंशन योजना का नाम बदल कर ‘उत्तराखण्ड संकटाग्रस्त वयोवृद्ध पत्रकार पेंशन योजना’ करने पर सहमत नहीं थे। बैठक में त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने ‘संकटाग्रस्त’ शब्द जोड़ने पर कड़ा विरोध जताया, रमेश पहाड़ी और अन्य सदस्यों ने भी इस पर आपत्ति उठायी थी। त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने ‘उत्तराखण्ड संकटाग्रस्त वयोवृद्ध पत्रकार पेंशन योजना’ के नाम पर आपत्ति उठाते हुए संशोधन प्रस्ताव रखते हुए पेंशन को ‘सम्मान’ के रूप में दिये जाने हेतु इसका नाम ‘उत्तराखण्ड वयोवृद्ध पत्रकार सम्मान पेंशन योजना’रखने का सुझाव दिया था। जिस पर सभी सहमत थे। समिति सदस्यों ने पत्रकार पेंशन योजना का नाम ‘उत्तराखण्ड वयोवृद्ध पत्रकार सम्मान पेंशन योजना’ करने, अपने समाचार पत्र/पत्रिका के संपादक जो अपने समाचार पत्र के प्रकाशक, मुद्रक व स्वामी भी हैं उन्हें पूर्व की तरह पेंशन योजना हेतु अर्ह घोषित करने और पेंशन योजना में आवेदकों के लिए आवेदन पत्र के साथ आईटीआर संलग्न करने का सुझाव दिया था। यह सभी सुझाव महानिदेशक सूचना एवं लोक संपर्क विभाग उत्तराखण्ड द्वारा शासन की स्वीकृति और अनुमोदन के लिए भेज दिये गये हैं। समिति ने यह भी सुझाव दिया था कि पत्रकार कल्याण कोष कारपस फंड में 5 करोड़ रूपये का अनुदान दिया जाय जिससे पत्रकार कल्याण से जुड़े मामलों में धनाभाव न हो। इस पर कार्यवाही गतिमान है।

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