आज है श्रावणी उपाकर्म का पवित्र पर्व ऋषि तर्पण और रक्षा बंधन

यह दिन वर्ष में एक दिन आता है जब गंगा सहित विभिन्न पवित्र नदियों के तटों पर हजारों पुरोहित सप्तऋषियों और ऋषि पत्नियों के वंशानु तर्पण करते हैं। श्रावण पूर्णिमा के दिन समस्त ऋषियों और उनके वंश का वाचन करने का यह महत्वपूर्ण दिन है। श्रावणी उपाकर्म सतयुगीन पर्व है। रक्षा बंधन के पावन पर्व पर हरिद्वार में यह पवित्र पर्व ऋषि तर्पण आज रविवार को मनाया जा रहा है। गंगा किनारे खड़े होकर हिमाद्रि संकल्प से पर्व का शुभारंभ हेतु धर्मनगरी हरिद्वार में प्रातःकाल हरकी पैड़ी और कुशावर्त घाट पर पुरोहित यह पर्व मनाने के लिए एकत्र होते हैं। गंगा के तटों पर करीब दो घंटे चलने वाला हिमाद्रि संकल्प स्नान आकर्षण का केंद्र रहेगा। स्नान के उपरांत वर्षभर पहनने के लिए यज्ञोपवीत और रक्षा सूत्रों का संधान किया जाएगा। हरिद्वार के रामघाट, भूमाघाट, कनखल के राजघाट आदि पर भी वशिष्ठ, कश्यप, भारद्वाज, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र व अत्रि आदि के वंशजों का भी तर्पण किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि ऋषि तर्पण कभी ब्राह्मणों के नित्यकर्म में शामिल था। पुरोहितों और बहनों के लिए यह दिन विशेष होता है। पुरोहित अपने यजमान की कलाई पर रक्षासूत्र और फिर बहनें बांधती हैं।

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