40 मंजिला टावर ढहाने का सुप्रीम आर्डर
अदालत ने कहा ऑथरिटी और सुपरटेक की मिलीभगत से हुआ निर्माण
नोएडा स्थित एक हाउजिंग प्रॉजेक्ट (एमरॉल्ड कोर्ट) में 40 मंजिला टावर ढहाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कंपनी को तगड़ा झटका लगा है। यह दोनों टावर रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड के हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2014 में दोनों टावरों को अवैध करार देते हुए ढहाने और अथॉरिटी के अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कई तल्ख टिप्पणियां कीं और कहा कि नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और सुपरटेक की मिलीभगत से यह निर्माण हुआ। बताते चलें कि 3 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए अदालत ने कहा था कि अथॉरिटी को एक सरकारी नियामक संस्था की तरह व्यवहार करना चाहिए, ना कि किसी के हितों की रक्षा के लिए निजी संस्था के जैसे। अदालत ने पिछली तारीख पर नोएडा अथॉरिटी की हरकतों को ‘सत्ता का आश्चर्यजनक व्यवहार’ करार दिया था। बेंच ने कहा ष्जब फ्लैट खरीदने वालों ने आपसे दो टावरों, एपेक्स और सीयान के बिल्डिंग प्लान्स का खुलासा करने को कहा, तो आपने सुपरटेक से पूछा और कंपनी के आपत्ति जताने के बाद ऐसा करने से मना कर दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही आपने उसकी जानकारी दी। ऐसा नहीं है कि आप सुपरटेक जैसे हैं, आप उनके साथ मिले हुए हैं। गौरतलब है कि सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था जब एमराल्ड कोर्ट हाउजिंग सोसायटी के बाशिंदों की याचिका पर टावर ढहाने का आदेश आया। 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैंए 133 दूसरे प्रॉजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है।