अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की जयंती पर ही हुआ था हिंसा का सबसे बड़ा तांडव

-त्रिलोक चन्द्र भट्ट

उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर वर्ष 1994 में अनगिनत धरने, प्रदर्शन और मसूरी तथा खटीमा में हुई राज्य आन्दोलनकारियों की शहादत के बाद भी जब केन्द्र सरकार ने जनता की आवाज नहीं सुनी तो उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति की केंद्रीय इकाई ने 2 अक्टूबर, 1994 को गाँधी जयंती के दिन दिल्ली कूच का आह्वान किया था। दिल्ली रैली में लोगों को ले जाने के लिए हरिद्वार में 30 सितंबर, 1994 को स्थानीय स्तर पर समितियां बनाई गई। जिनमें भीमगोड़ा से मित्रानंद पुरोहित, हरिद्वार व बेलवाला के लिए महेश ध्यानी, कनखन के लिए स्वरूप सिंह रावत एवं जी.पी. नौटियाल, आवास विकास के लिए ओ.पी. कुकरेती, गोविन्दपुरी के लिए डी.एन. जुयाल, सुभाषनगर के लिए संुदर सिंह रावत, खन्ना नगर के लिए जे.पी. बड़ाकोटी, शिवालिक नगर बीएचईएल के लिए मथुरादत्त उपाध्याय व सुरेश ओली, सैक्टर-3 के लिए हरीश मैठाणी, परमानंद रतूड़ी, खुशहाल सिंह राणा, सैक्टर 4-5 के लिए गजेन्द्र डंगवाल, एस.पी. बौठियाल, सेक्टर 1-2 और वर्कर्स हॉस्टल एवं टीबड़ी के लिए आर.पी. डोभाल, हिम्मत सिंह नेगी और प्रेम सिंह रावत आदि प्रमुख लोगों को जिम्मेदारियाँ सौंपी गई। रूड़की में भी इसी तरह क्षेत्रावार लोगों को जिम्मेदारी सौंपी गई।
दिल्ली रैली में भाग लेने के लिए उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों से बड़ी संख्या में राज्य समर्थकों ने 1 अक्टूबर से ही दिल्ली जाना शुरू कर दिया था। इस दिन हरिद्वार जनपद से भी हजारों लोगों ने दिल्ली कूच किया। जिनको उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी और सरकार के शीर्ष अधिकारियों के निर्देश पर रात्री में ही पुलिस ने जगह-जगह बलपूर्वक रोका। देहरादून से हरिद्वार जनपद के प्रवेश द्वार भूपतवाला में पुलिस चैक पोस्ट से लेकर रूड़की रोड पर बहादराबाद, लक्सर रोड पर फेरूपुर, लक्सर में रेलवे फाटक तथा रूड़की-मुजफ्फरनगर मार्ग पर मंगलौर और नारसन में गढ़वाल मण्डल के पर्वतीय जिलों व हरिद्वार जनपद से दिल्ली जा रहे आन्दोलनकारियों को पुलिस ने बलपूर्वक रोकने का असफल प्रयास किया। जिस कारण कई जगह आन्दोलनकारियों के साथ पुलिस की नोक-झोंक हुई।
1 अक्टूबर की शाम पर्वतीय क्षेत्र से आने वाली कई बसें हरिद्वार-बहादराबाद मार्ग से रूड़की होते हुए दिल्ली की ओर रवाना हुई। हरिद्वार और आस-पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आन्दोलनकारियों के दिल्ली रैली में जाने की सूचना पर पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए जगह-जगह अवरोध लगाने शुरू कर दिए थे। हरिद्वार से लगभग दस कि.मी. दूर बहादराबाद में आन्दोलनकारियों की बसों को रोके जाने की सूचना मिलते ही स्थानीय आन्दोलन संचालन समिति के नेताओं ने अपनी रणनीति बदल कर हरिद्वार, भीमगोड़ा, खड़खड़ी, भूपतवाला, कनखल, बीएचईएल, ज्वालापुर क्षेत्र की बसों के काफिले को बहादराबाद के बजाय लक्सर मार्ग से ले जाने की रणनीति बनाई। लेकिन पुलिस ने इस मार्ग पर भी बैरियर लगा कर आंदोलनकारियों की बसों को रोकने के पुख्ता इंतजाम कर रखे थे। हरिद्वार-लक्सर रोड की ओर से आगे बढ़ रहे बसों के काफिले को फेरूपुर बैरियर पर रोक लिया गया। कई घंटों तक अकारण रोके जाने से आन्दोलनकारियों का धैर्य जवाब दे गया। शांतिपूर्ण तरीके से बैरियर खोलने का अनुरोध करने पर भी जब पुलिस द्वारा बैरियर नहीं खोला गया तो युवा आन्दोलनकारियों की पुलिस कर्मियों से तीखी बहस हुई और वे पुलिस के कड़े प्रतिरोध के बावजूद जबरन बैरियर खोल कर बसों का काफिला आगे ले जाने में कामयाब हो गए।
यहां से करीब आधे घंटे बाद जब आन्दोलनकारियों की बसों का काफिला लक्सर पहुंचा तो लक्सर-रूड़की मार्ग के रेलवे क्रासिंग पर फाटक बंद होने के कारण इस काफिले को पुनः रूकना पड़ा। यह रेलवे पफाटक करीब एक घंटे से बंद था वहाँ दोनों ओर कुछ ट्रक भी खड़े थे। पहले तो आन्दोलनकारी यही समझते रहे कि किसी रेलगाड़ी की निकासी के लिए गेटमैन ने फाटक बंद किया होगा लेकिन काफी प्रतीक्षा के बाद भी जब फाटक नहीं खुला तो आंदोलनकारियों को शंका हुई। पूछताछ करने पर वहाँ खड़े ट्रक चालकों से पता चला कि अन्दोलनकारियों की बसं रेलवे फाटक पार कर दिल्ली की ओर न जा सके इसीलिए पुलिस ने ही रेलवे फाटक बंद करवाया है और वे उनके ट्रकों की चाबियाँ भी ले गए हैं।
आन्दोलनकारियों की बसों के काफिले को वहाँ से आगे बढ़ने के लिए फाटक का खुलना और सड़क के मध्य में खड़े ट्रकों का हटना जरूरी था। रेलवे फाटक खोलने वाला गेटमैन भी अपने केबिन से गायब था। शायद पुलिस ने उसे वहाँ से जाने को कह दिया होगा, जिससे आन्दोलनकारी उससे बलपूर्वक गेट न खुलवा लें। काफी देर तक गेटमैन को खोजा गया, लेकिन जब वह नहीं मिला तो आन्दोलनकारियों ने गेटमैन के कमरे से लोहे के संबल, हथौड़े और सरिये उठाकर रेलवे फाटक के ताले तोड़ डाले। मार्ग में बेतरतीब खड़े ट्रकों को चाबी के बिना ही जुगाड़ से स्टार्ट करवा कर रास्ता साफ करते हुए राज्य आन्दोलनकारी दर्जनों बसों के काफिले को लेकर रूड़की की ओर बढ़ गए।
गढ़वाल मंडल से आने वाली आन्दोनकारियों की बसों के साथ ही 1 अकटूबर, 1994 की रात्रि को रूड़की से भी कई बसों ने दिल्ली की ओर कूच किया। मंगलौर पहुँचते पहुँचते रात का लगभग 1 बज गया था। 2 अक्टूबर की भोर में गाँधी जयंती के दिन दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी रैली में शामिल होने के लिए गजब का उत्साह आन्दोलनकारियों में था। किसी को भी सपने में भी यह नहीं सोचा था कि हरिद्वार जनपद के अंतिम कस्बे नारसन में भारी पुलिस फोर्स उनकी राह रोके खड़ा है। मंगलौर, गंगनगर, ही नहीं हरिद्वार व सहारनपुर तक की पुलिस फोर्स यहाँ, पीएसी के जवानों के साथ तैनात थी। गंगलौर के थानाध्यक्ष राम कुमार सिंह, सुरेन्द्रपाल सिंह (क्षेत्राधिकारी मंगलौर, हरिद्वार), वाई.के. शर्मा व आर एस वर्मा (उप निरीक्षक) आदि कई अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे।
हरिद्वार जनपद में राज्य आन्दोलनकारियों के विरूद्ध पहली एफआईआर 2 अक्टूबर, 1994 को प्रातः 5.40 बजे मंगलौर थाने में थानाध्यक्ष राम कुमार सिंह यादव ने मुं.अ. संख्या 308 के अंतर्गत विजय सिंह रावत आदि 22 लोगों के खिलाफ पंजीकृत कराई थी। गढ़वाल के तमाम जिलों से 1 तारीख की रात हरिद्वार जिले में प्रवेश करने के बाद दिल्ली की ओर बढ़ते हुए आन्दोलनकारियों को नारसन में अनाधिकृत रूप से बलपर्वूक रोकने का ऐसा प्रयास हरिद्वार, ज्वालापुर, कनखल, बहादराबाद, रूड़की आदि थानों की पुलिस ने नहीं किया जैसा कि मंगलौर थाने के थानाध्यक्ष राम कुमार सिंह यादव ने किया।
रामकुमार सिंह यादव 1-2 अक्टूबर को नारसन में सब इंस्पेक्टर र्वाइ.के. शर्मा व सब इंस्पेक्टर आर.एस. वर्मा, कांस्टेबल 610 हरेन्द्र सिंह, कां. 305 ….सिंह, कां. यशपाल सिंह, कां. 348 गंगादास, कां. 96 सतीश कुमार, कां. 300 दिनेश कुमार व होमगार्ड 2 सहदेव सिंह, का. 577 विनोद कुमार, कां. 534 वेदपाल सिंह, व होमगार्ड 2561 वालेन्द्र सिंह, होमगार्ड 2562 सोमपाल सिंह आदि के साथ राज्य आन्दोलनकारियों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे। इनके साथ नारसन चैक पोस्ट पर एम.पी. श्रीवास्तव अपर परगनाधिकारी रूड़की व सुरेन्द्रपाल सिंह चौहान सीओ मंगलौर, एआरटीओ हरिद्वार ए.के. जैन मय पफोर्स मौजूद थे। नारसन चैकपोस्ट सेे राज्य आन्दोलनकारियों के कुछ वाहन 1 तारीख को मध्यरात्री से पूर्व ही आगे निकल गये थे। रात्री दो बजे करीब जब रूड़की की ओर से राज्य आन्दोलन के बैनर लगी हुई बसों का काफिला नारसन पहुँचा तो वहाँ पहले से तैनात पुलिस फोर्स ने उन्हें नाजायज हथियार और वाहनों के परिमट की चैकिंग के बहाने जबरन रोक लिया। पुलिस का मकसद उनको किसी भी हालत में नारसन से आगे बढ़ने नहीं देना था।
वहाँ लगाये गये अवरोधों को हटाकर जबरन आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे छात्र और युवा आन्दोलनकारियों के साथ पुलिस की झड़प हुई तो पुलिस ने आन्दोलनकारियों की बसों पर डंडे बरसा कर उनके शीसे और हैड लाईट तोड़ते हुए छात्रों पर लाठी चार्ज कर दिया। जिन पुलिसकर्मियों के पास लाठियाँ नहीं थी वे भी भीड़ पर पत्थर फेंकते हुए आगे आ गये। सामने आयी चमोली जिले की कुछ युवतियों से जब उन्होंने दुर्व्यवहार की कोशिश की तो क्रोधित छात्रों ने पुलिस बल पर जवाबी पथराव कर उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया। बिना किसी वैध कारण के जबरन रोकने और पुलिस की बदसलूकी के कारण वहाँ माहौल खराब हो चुका था। पुलिस के लाठीचार्ज करने पर स्थिति और बिगड़ गई। आन्दोनकारियों ने भी अपने बचाव के लिए जवाबी पथराव शुरू कर दिया। सूचना पर मौके पर हरिद्वार और सहारनपुर के पुलिस अधीक्षक भी पहुँचे लेकिन वे आन्दोलनकारियों को नहीं रोक पाये। यह हरिद्वार जनपद के आन्दोलन का वह घटनाक्रम था जब शांतिप्रिय और अहिंसक आन्दोलनकारियों की दिशा परिवर्तिन कर पुलिस ने उन्हें हिंसा की मोड़ा।
पुलिस ने आंसू गैस व लाठी चार्ज कर निर्दाेष महिलाओं एवं बुजुर्गांें की पिटाई करनी प्रारम्भ कर दी। कई बुजुर्ग छात्रों को समझा बुझा कर नियन्त्रित करने का प्रयास कर ही रहे थे कि इसी बीच गोलियां चलने की आवाजें आने लगी। हवाई फायरिंग से छात्र और भड़क उठे। कुछ छात्रों ने थाना गंग नहर (रूड़की) की जीप यू.एम.वी.-8851 उलट कर उसमें आग लगा दी, पुलिस ट्रक नं. 9982 को भी आग के हवाले कर दिया गया, उ.प्र. सड़क राज्य परिवहन निगम की बस नं. 9750 की टक्कर से यहां की जीप सं. यू.जी.एक्स-1653 पलट गयी। उग्र लोगों ने इन दोनों वाहनों को भी आग की भेंट चढ़ा दिया। तभी पुलिस व एक प्राइवेट ट्रक, जीप तथा एक मारूति वैन को भी आग लगा दी, स्थानीय लोगों की ठेलियों व खोखे भी आग की भेंट चढ़ गए चारों ओर गाड़ियाँ धू-धू कर जल उठी, जिसमें उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बस यू.पी-15बी-799, यू.पी.-15बी-2232, यू.एस.वाई.-9605, यू.पी.-05-998, यू.पी.-7बी-3537, यू.पी.वाई.-8740 तथा टाटा ट्रक नं. यू.पी.-11-2873 आदि वाहन भयंकर आग की लपटों में जल गये।
भयंकर आगजनी के बीच जब पीछे से आकर कुछ युवकों ने बसों मंे सवार आन्दोलनकारी महिलाओं के साथ पुलिस द्वारा दुर्व्यहार करने की सूचना दी तो भीड़ ने बेकाबू होकर पुलिस पर पत्थरों की बरसात शुरू कर दी, अचानक हुई जबरदस्त पत्थरबाजी से घबराकर पुलिसवालों को जहाँ रास्ता मिला उन्होंने वहीं भागकर जान बचायी वह आन्दोलनकारियों की विशाल जनशक्ति के आगे टिक न सकी। पुलिस के भाग खड़े होते ही धू-धू कर जल रहे वाहनों को रोड के दोनों ओर धकेल कर आन्दोलनकारियों ने अपने वाहनों को आगे निकालने का मार्ग बनाया और आग की लपटों से घिरी उत्तर प्रदेश परिवहन और पुलिस की गाड़ियों के बीच से अपना काफिला निकालकर मुजफ्फरनगर जिले की सीमा में प्रवेश कर गए।
आन्दोलनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में दर्जनों आन्दोलनकारी घायल हुये जिनका कोई रिकार्ड नहीं है। जबकि पुलिस में सुरेन्द्रपाल सिंह चौहान क्षेत्राधिकारी मंगलौर, रामकुमार सिंह यादव थानाध्यक्ष मंगलौर, सब इंस्पेक्टर वाई.के. शर्मा, व सब इंस्पेक्टर आर.एस. वर्मा व कांस्टेबल 300 दिनेश कुमार व कां. 96 सतीश कुमार, कां. 577 विनोद कुमार व होमगार्ड 2561 वालेन्द्र सिंह व 562 सोमपाल सिंह सभी थाना मंगलौर तथा कां. रोहताश कुमार थाना श्यामपुर, कां. 71 एपी योगेन्द्र प्रसाद, का. 49 एपी रामवीर सिंह पुलिस लाइन मुजफ्फरनगर का घायल होना बताया गया। इस घटना में थाना गंगनहर रूड़की की जीप संख्या यूएमयू-8851 मय आरटी सेट तथा हरिद्वार की गाड़ी यूएचआर-9922 व सहारनपुर पुलिस की जीप यूजीएक्स 1653 आग की भेंट चढ़ गईं। इस घटना में पुलिस ने 22 आन्दोलनकारियों को गिर्फतार कर उनके विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 436, 336, 332, 353, 427 व 4 प्रक्यूसन डैमेज ऑपफ पब्लिक प्रापर्टी प्रशन अधिनियम में एफआईआर दर्ज की।
जिस तरह सेना और सुरक्षाबल दुश्मन पर हमला करने के लिए ‘अंबुस’ लगाते हैं ऐसेे ही घात लगाकर आन्दोलनकारियों पर हमला करने की बड़ी तैयारी मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पुलिस और प्रशासन ने की हुई थी। हरिद्वार जिले की सीमा पार कर मुजफ्फरनगर शहर के प्रवेशद्वार पर अत्याधुनिक हथियारों से लैस पुलिस व पीएसी के जवानों ने मानव दीवार बनाकर राज्य समर्थकांे को आगे बढ़ने से रोक दिया। हरिद्वार और रूड़की से 1 अक्टूबर की शाम रवाना हुए सभी लोगों को गढ़वाल मंडल के अन्य आन्दोलनकारियों के साथ मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा और सिसौना गाँव के बीच अवरोध लगाकर बलपूर्वक रोक दिए जाने से हजारों राज्य आन्दोलनकारी दिल्ली रैली में नहीं पहुँच सके। उत्तर प्रदेश सरकार की शह पर 1 अक्टूबर की रात और 2 अक्टूबर, 1994 की सुबह अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की जयंती पर रामपुर तिराहा पर लाठी और गोली चलाने से लेकर, महिलाओं से व्यभिचार की घटनाओं तक जो कुछ हुआ उसने मानवता को भी शर्मसार कर दिया था।
रूड़की और हरिद्वार के आन्दोलनकारियों की बसें, अन्य जिलों की बसों से पीछे थी। जो बसें आगे थी पुलिस और पीएसी ने आन्दोलनकारियों को दिल्ली जाने से रोकने के नाम पर उन बसों में तोड़पफोड़ ही नहीं की, निहत्थे आन्दोलकारियों को बसों से बाहर खींच कर उन पर बेरहमी से लाठियॉं व गोलियाँ बरसाई। इस गोलीकांड में सूर्य प्रकाश थपलियाल, गिरीश भद्री, रविन्द्र रावत, सतेन्द्र चौहान राजेश लखेड़ा, अशोक कैशिव व राजेश नेगी की शहादत हुई। वहाँ गोलियाँ और लाठियाँ चलने से सारी रात आन्दोलनकारियों की चीखें गूँजती रही। अंधरे में चली गोलियों की दहशत से जिसको जहाँ जगह मिल वह जान बचाने के लिए उसी ओर भागा। अनेक महिलाओं ने अपनी जान बचाने के राजमार्ग के दोनों ओर खड़े गन्ने के खेतों में शरण ली। लेकिन कानून के रक्षक का चोला पहने उत्तर प्रदेश पुलिस के बहसी दरिन्दों ने गन्ने के खेतों में छिपी महिलाओं को भी नहीं छोड़ा। अपनी इज्जत की भीख माँगती, रोती, बिलखती और गिड़गिड़ाती महिलाओं पर उन्हें तरस नहीं आया। उत्तर प्रदेश पुलिस के उन नर पिचाशों ने कई महिलाओं की इज्जत तार-तार कर दी। रामपुर तिराहे पर पुलिस और आन्दोलनकारियों की बीच हुई झड़प के बाद देर रात 268 पुरूष और 47 महिला आन्दोलनकारियों को धारा 107/151 में गिरपफ्तार कर पुलिस मुजफ्फरनगर ले गई।
2 अक्टूबर की दोपहर तक हरिद्वार, कनखल, ज्वालापुर, लालढांग, पथरी, लक्सर, बीएचईएल, भीमगोड़ा, रूड़की, आदि के आन्दोलनकारी गढ़वाल मंडल के अन्य आन्दोलनकारियों के साथ राजमार्ग पर भूखे-प्यासे धरना देकर बैठे रहे।
पुलिसिया जुल्म के शिकार हुए लोगों की मदद के रामपुर, सिसौना आदि के गाँवों ने मानवता का अनूठा उदाहरण दिया। गावँवासी भूखे प्यासे लोगों के लिए आगे आए, सामूहिक निजी और सामूहिक चूल्हे जले, सिसौना के मंदिर में भंडारा चला। भूखे व्यासे आन्दोलनकारियों की गाड़ियों में जा-जा कर गावँ वालों ने भोजन दिया। दोपहर बाद सभी आन्दोलनकारी पुलिस ज्यादती, उत्पीड़न और अपने अनेक साथियों का खोने का गम लिए भरे मन से वापिस घरों को लौटे।
अक्टूबर 1994 में पृथक राज्य की मांग के लिए दिल्ली रैली में जा रहे राज्य समर्थकों को उत्तर प्रदेश पुलिस व प्रशासन द्वारा मुजफ्फरनगर में जबरन रोककर उन पर गोलियाँ चलाने और दुर्व्यवहार की घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। आन्दोलनकारियों की मौत और महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना के विरोध में े पूरा पहाड़ सुलग उठा। हरिद्वार में भी आन्दोलनकारियों व उग्र भीड़ द्वारा भयंकर आगजनी व तोड़फोड़ की गई। रूड़की में भी हजारों लोग सड़कों पर उतर आये। मुजफ्फरनगर में अनेक लोगों के मारे जाने और सैकड़ों लोगों के घायल होने की सूचना 2 अक्टूबर, 1994 की दोपहर तक हरिद्वार पहुँचते ही यहाँ के लोगों की सांसे थम सी गई थी। पूरे शहर में सन्नाटा पसर गया था। दिल्ली रैली में भाग लेने के लिए हरिद्वार जनपद से सैकड़ों आन्दोलनकारी गए थे जिनमें बीएचईएल में कार्य करने वाले कर्मचारी भी बड़ी संख्या में शामिल थे। जैसे ही मुजफ्फरनगर गोलीकांड की सूचना हरिद्वार पहुँची तो बीएचईएल मुख्य चिकित्सालय से एक एम्बुलेंस घायलों को लेने के लिए रामपुर तिराहा, मुज्फफरनगर गई लेकिन तब तक दर्जनों घायलों को मुजफ्फरनगर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया जा चुका था। अनेक लोगों को उनके साथी प्राइवेट चिकित्सालयों में ले गए। बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी थे जिन्होंने पुलिस के खौफ से अपना उपचार ही नहीं कराया।
हरिद्वार के राज्य समर्थक 2 अक्टूबर, 1994 की रात अगले दिन के विरोध प्रदर्शन और भावी रणनीति बनाने में जुटे रहे। 3 अक्टूबर की सुबह सूर्याेदय के साथ ही शहर में जगह-जगह हजारों लोगों भीड़ सड़कों पर निकल आई। क्रुद्ध भीड़ ने तहसील परिसर, विद्युत व राजस्व कार्यालय समेत दर्जनों स्थानों पर आगजनी की। रोडवेज बस अड्डे पर चार बसों व वाणिज्य कर अधिकारी की जीप सं.-यू.पी.-08-0120 को जला कर राख कर दिया। जीप पूरी तरह जल कर खाक हो गई विभाग द्वारा उसकी क्षति की तत्कालीन कीमत 85000 रूपए आंकी गई। आन्दोलनकारियों द्वारा 3 अक्टूबर को बंद का आह्वान किया गया था जिसका पूरे जनपद में व्यापक असर रहा।
हरिद्वार नगर और आस-पास के क्षेत्रों में भी उग्र लोगों ने भयंकर आगजनी व तोड़फोड़ कर सरकारी एंव गैर सरकारी सम्पत्ति को करोड़ों की क्षति पहुँचाई। 3 अक्टूबर को दोपहर बाद, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, पुलिस व पी.ए.सी. की जबरदस्त घेराबन्दी के बाद भी महिलाओं ने अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के सार्वजनिक प्रतिष्ठान भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लि. के हीप व सैन्ट्रल फाउन्ड्री फोर्ज प्लान्ट को पूरी तरह बन्द करवा दिया। उग्र लोगों नेे बीएचईएल कारखाने को चारों ओर से घेर कर पफैक्ट्री में जाने के रास्ते बंद कर दिए। महिलाएं सभी गेटों पर धरना देकर बैठ गई। जिस कारण दोपहर के मध्याह्न भोजन के लिए फैक्ट्री से बाहर आए या घर गए कर्मचारी वापिस ड्यूटी पर नहीं जा सके। जबकि सभी गेटों पर भारी संख्या कें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान तैनात थे। फैक्ट्री की घेराबंदी 4 अक्टूबर को भी जारी रही। लोगों ने फैक्ट्री जाने वाली सड़कों पर जलते हुए टायर डालकर सड़कें अवरूद्ध कर दी और हाथों में लाठियां और डंडे लेकर रास्तों को घेर लिया भयभीत कर्मचारी ड्यूटी नहीं जा सके। बीएचईएल के कार्यपालक निदेशक एम.के. मित्तल, वरिष्ठ प्रबन्धक आर.सी.जैन लाख प्रयासों के बावजूद कर्मचारियों का फैक्ट्री में प्रवेश नहीं करवा पाये। भेल के इतिहास में यह पहला अवसर रहा जब इसमें पूरी तरह उत्पादन ठप्प हुआ हो, हालांकि इससे पूर्व विभिन्न श्रमिक यूनियनों के राष्ट्रव्यापी बंद के आह्वान हुए लेकिन ऐसी अभूतपूर्व स्थिति कभी भी उत्पन्न नहीं हुई। नगर मजिस्ट्रेट राजेन्द्र कुमार सोनी व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने बीएचईएल पहुँच कर आन्दोलनकारियों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे महिलाओं की नाकेबन्दी समाप्त नहीं करा सके। हालांकि हुछ सपा-बसपा समर्थकों ने जबरन फैक्ट्री में प्रवेश का प्रयास भी किया लेकिन सफल नहीं हो सके। इस अप्रत्याशित बंद से बीएचईएल को करोड़ों रुपए की क्षति हुई। साठ के दशक में संस्थान की स्थापना के बाद से यह पहला अवसर था जब आम जनता ने विरोधस्वरूप फैक्ट्री बंद हुई।
दूसरी ओर आक्रोशित लोगों ने रेलवे ट्रेक पर भी अवरोध डाले। हरिद्वार-ज्वालापुर रेलवे लाइन पर पाइप डाले जाने से रेलवे प्रशासन को हरिद्वार से आने-जाने वाली सभी गाड़ियेंां को रद्द करना पड़ा। पुलिस द्वारा ज्वालापुर में भीड़ पर लाठीचार्ज भी किया गया जिससे आन्दोलनकारियों में आक्रोश भड़क उठा और वे अधिक आक्रामक होकर सड़कों पर निकल आए। भीमगोड़ा में उक्रांद व भाजपा कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्राी मुलायम सिंह के पुतले जलाए।
क्रुद्ध भीड़ ने ज्वालापुर में रेलवे लाइन के सिग्नल उखाड़ कर सिंहद्वार स्थित पुलिस बूथ जला डाला। शहर के सेवा सदन महिला कालेज एवं निर्धन निकेतन स्कूल में तोड़फोड़ की गई। पंजाब नेशनल बैंक, सैंट्रल बैंक और मानसरोवर होटल में भी भारी तोड़फोड़ हुई।
रूड़की में जेल का घेराव कर पकड़े गए साथियों को छुड़ाने के प्रयास के बाद ए.डी.एम. और सी.ओ. सिटी को घंटों भीड़ ने बंदी बनाए रखा। तहसील परिसर में वकीलों के पचासों झांेपड़े जलकर राख हो गए। तहसील के कागजात जला दिए गए। रोडवेज अड्डे पर बसें फूंकने के बाद भीड़ ने पूछताछ दफ्तर तोड़ और रिकार्ड निकालकर आग लगा दी। नगर परिषद के दफ्तरों में भी तोड़पफोड़ की गई और सड़क पर चल रहे दर्जनों वाहन तोड़ दिए गए।
पूर्व प्रधानमंत्राी स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के दस वर्ष बाद यहाँ इतने बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ हुई थी। मुफ्फरनगर हत्याकांड से नाराज युवकों ने हरिद्वार के सभी सरकारी दफ्तरों के बोर्ड उखाड़ फेंके और थाना, कोतवाली में पथराव किया। जिलापूर्ति कार्यालय का सारा सामान सड़क पर फेंक डाला। युवकों ने सड़कों पर कम से कम तीस जगह टायर डालकर आग लगाई। हॉकियां, डंडे और बांस लिए युवक इस आग में फर्नीचर, रेहड़ियां उठाकर फैंक रहे थे। सेंटमेरी स्कूल के बाहर बच्चों को छोड़ने आई सेना की बस पर भी उन्होंने पथराव किया। खाद्य निगम के गोदामों में घुसकर युवकों ने आग लगाने का प्रयास किया। अवधूत मंडल के पास भीड़ ने रिक्शा में जा रहे एक सिपाही को घेरा, वह बड़ी मुश्किल से जान बचा सका। जिले में पूर्ण बंद रहा। शिक्षण संस्थाए बंद होने की सूचना समय पर न मिलने से छात्रा सड़कों पर आए और जगह-जगह भयंकर अग्निकांड हुआ।
रोडवेज अड्डे पर भारी पथराव के पश्चात् प्रदर्शनकारियों ने चार बसों को आग लगाई। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के अग्निशमन दस्ते ने एक बस को बचाया, जबकि तीन बसें पूरी तरह नष्ट हो गई। पथराव से चालक संघ के प्रधान रमा सिंह एवं परिचालक श्याम सिंह घायल हुए। इन बसों के पीछे फंसी हिमाचल परिवहन निगम की एक बस को पथराव कर क्षतिग्रस्त किया गया। राजस्थान परिवहन निगम के चालक अपनी बसों को निकाल ले गए। रोडवेज के दफ्तर से रिकार्ड निकालकर उसमें आग लगाई गई। बाद में रोडवेज कर्मचारियों ने एकत्र होकर आन्दोलनकारियों की भीड़ पर पथराव किया।
सिंचाई विभाग के फील्ड हॉस्टल का पफर्नीचर निकालकर छात्रों ने उसमें भी आग लगाई। सी.ओ. सिटी की गाड़ी पर पथराव कर उसे क्षतिग्रस्त किया गया। कनखल के छात्रों ने भाजयुमो नेता प्रमोद शर्मा की अगुवाई में होली मोहल्ला, चौक बाजार, कनखल चौक में प्रदर्शन किया। बीएचईएल के विभिन्न सैक्टरों में भी आन्दोलनकारियों ने जुलूस निकाला। यह जुलूस विभिन्न सेक्टरों से होता हुआ धरना स्थल पहुंचा। तत्कालीन कंेद्रीय विद्यालय नंबर दो से सेक्टर-4 के थाने तक हाकियां-डंडे हाथ में लिए युवा जमा रहे। बहादराबाद में भी पूर्ण बंद रहा। दो घंटे तक रास्ता जाम कर वाहनों पर पथराव किया गया। ज्वालापुर में पुलिस ने फाटक के पास भीड़ पर लाठीचार्ज किया प्रदर्शनकारियों के आक्रामक होने पर बाद में यहाँ से पुलिस कर्मी ही भाग खड़े हुए।
हजारों कुपित छात्र सवेरे हाथों में डंडे लेकर सरकारी दफ्तर तोड़ते हुए एस.एम.जे.एन. पोस्ट ग्रेजुएट कालेज की ओर बढ़े। वहां व्यक्तिगत परीक्षाएं चल रही थी। छात्रों ने प्राचार्य प्रो. पी.एस. चौहान से कालेज बंद करने को कहा तो उन्होंने आंदोलनरत छात्रों से सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि परीक्षाएं कुलपति या जिलाधिकारी के आदेश से ही निरस्त की जा सकती हैं। इस पर छात्रा कालेज के प्रांगण में जलते हुए टायर फैंकने लगे। छात्रों ने रिकार्ड रूम की चाबियां छीन ली और आग लगाने की कोशिश की। जिससे घबराए प्राचार्य को परीक्षाएं बीच में ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करनी पड़ी। पांच अक्टूबर तक चलने वाली इन परीक्षाओं की तिथियां बाद में घोषित की गई।
यहां से निकल छात्र जब भल्ला कालेज पहुंचे तो वहां के छात्र भी अवकाश के कारण लौटने की तैयारी कर रहे थे। इस भीड़ को देखकर सी.ओ. सिटी एवं सिटी मजिस्ट्रेट के दफ्तरों के सामने पुलिस ने नाकेबंदी कर दी। जबकि छात्र यहां से बाजार बंद कराने जा रहे थे। पुलिस को देखकर छात्र भड़क उठे। छात्रों ने सी.ओ. कार्यालय में पथराव किया। पथराव कर रहे छात्रों को रोकने के लिए पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी। नगर कोतवाल सुरेंद्र बहादुर सिंह ने रिवाल्वर निकालकर पांच चक्र हवाई फायर किए। छात्रों ने नारेबाजी करते हुए नगर परिषद परिसर स्थित हाईडिल के कार्यालय और रिकार्ड रूप में आग लगा दी। यहीं से कुछ छात्र दीवारें फांद कर सपा कार्यालय यूनियन भवन में जा घुसे। वहां अंबरीश कुमार और शहर सपा अध्यक्ष मुरली मनोहर चार-पांच साथियों के साथ बैठे हुए थे। छात्रों ने अंबरीश से शिकायत की कि पुलिस उन पर गोली चला रही है तो अंबरीश ने कहा कि वे अधिकारियों से बात करेंगे। तभी भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। कुछ शरारती तत्वों ने अंबरीश कुमार के कपड़े फाड़ डाले और उनसे हाथापाई की। पत्थर लगने से अंबरीश के साथी सपा नगर अध्यक्ष मुरली मनोहर का सिर फट गया। उन्हें तत्काल चिकित्सालय ले जाया गया। वरिष्ठ नेताओं पर पथराव अभद्र आचरण करने से सपा में गहरा आक्रोश छा गया। जिके बाद उनकी पार्टी के अनेक नेताओं ने ईंट का जवाब पत्थर से देने की घोषणा की। कुछ देर बाद सपा शहर अध्यक्ष मुरली मनोहर ने कोतवाली में भाजपा नेता स्वरूप सिंह रावत, स्थानीय विधायक आचार्य जगदीश मुनि व भाजपा जिला महामंत्री कृष्णमूर्ति भट्ट के खिलाफ धारा 147, 323 506, 427, 326 तथा 120 बी के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कराई।
इधर यह सब शुरू हुआ था कि भीमगोड़ा से विहिप के प्रांतीय संगठन मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज, भाजपा विधायक जगदीश मुनि, जिला मंत्री कृष्णमूर्ति भट्ट, के संयुक्त नेतृत्व में एक जुलूस रवाना हुआ जो बाजार बंद कराता हुआ पूरे शहर में घूमा। संघ परिवार के कुछ लोगों ने जगह-जगह तोड़फोड़ भी की। फिर संघ परिवार एवं बजरंग दल के युवक टुकड़ियों में बंटकर पंचपुरी एवं बीएचईलए में निकल रहे छात्रों के जुलूसों में शामिल हो गए। उक्रांद के कार्यकर्ता भी उनसे जा मिले। फिर तो शहर जगह-जगह जलता हुआ दिखाई दिया। पुलिस अफसर यहाँ से वहाँ दौड़ लगा रहे थे। पुलिस अधीक्षक दयाशंकर सिंह एवं जिलाधिकारी भगत सिंह वर्मा जिलाधिकारी निवास पर बैठकर स्थिति का जायजा लेते रहे। सड़कों पर पुलिस एवं पी.ए.सी. कहीं नजर नहीं आई। केवल वरिष्ठ अधिकारियों के निवास पर पुलिस बल तैनात थे।
ज्वालापुर उपनगरी में भी पूर्ण बंद रहा। वहाँ भी छात्रों ने जुलूस निकाला। थोड़ी-थोड़ी देर बाद आगजनी की सूचनाएं मिल रही थी। प्रशासन किसी भी तरह स्थिति को काबू कर पाने की स्थिति में नहीं था। हालात यहाँ तक खराब हो गए कि कई जगह मंदिरों तक के कपाट भी बंद हो गए। दूध-चाय के अभाव में यात्री भूखे-प्यासे ही रहे। सड़कों पर कोई वाहन नहीं चला। दफ्रतरों में उपस्थिति शून्य थी। सरकारी दफ्तर बंद कर दिए गए। बैंक, सिनेमाघर और पेट्रोल पंप भी बंद रहे। दोपहर में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक रुड़की चले गए। इसके बाद हरिद्वार में अराजकता का नंगा नाच होता रहा।
हरिद्वार में शाम को उस समय बेहद तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई जब समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सपा कार्यालय पर अंबरीष व मुरली मनोहर के साथ हुए दुर्व्यवहार के विरोध में जुलूस निकालने का निर्णय किया। सैकड़ों लोग मायापुर स्थित यूनियन दफ्तर पर जमा हो गए। प्रशासन की ओर से टकराव टालने के लिए नगर मजिस्ट्रेट, पुलिस क्षेत्राधिकारी एवं कोतवाल ने सपाइयों से जुलूस न निकालने का आग्रह किया, लेकिन अंबरीष कुमार ने कहा कि भाजपा की सांप्रदायिकता के विरुद्ध वे मौन जुलूस जरूर निकालेंगे। अंबरीष कुमार ने कहा कि सपा कार्यकर्ता सड़कों पर आकर मुंहतोड़ जवाब देंगे। उन्होंने जिला प्रशासन की जमकर आलोचना की। बाद में अंबरीश, मुरली मनोहर के नेतृत्व में बाजारों से होते हुए हर की पैड़ी तक मौन जुलूस निकाला गया। पूरे रास्ते पुलिस ने कड़े प्रबंध किए। बाजारों से होते हुए जुलूस के हर के पैड़ी पहुंचने पर करीब चार सौ कार्यकर्ताओं ने सांप्रदायिकता से लड़ने की शपथ ली। समाजवादी पार्टी ने अगले दिन दोपहर बारह बजे यूनियन भवन में बैठक बुला कर आगे की रणनीति पर विचार किया।
इसी दिन शाम छह बजे भीमगोड़ा क्षेत्र में उस समय भारी उत्तेजना फैली, जब हर की पैड़ी पर आयोजित सपा की सभा से लौटकर भीमगोड़ा की तरफ बढ़ रहे कुछ सपा कार्यकर्ताओं पर मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पुतला फूंकने के लिए जमा उक्रांद व भाजपा के कार्यकर्ताओं की नजर पड़ी। पुतला पफूंकने के लिए जमा भाजपा कार्यकर्ताओं ने सपा कार्यकर्ताओं को वापस हर की पैड़ी की ओर दौड़ाने के लिए उन पर ईंट पत्थर फेंके और भीमगोड़ा बैरियर पर पुलिस चैक पोस्ट के खोखे को आग की भेंट चढ़ा दिया। घटना की सूचना मिलने पर जिला अधिकारी पुलिस अध्ीक्षक नगर मजिस्ट्रेट भारी पुलिस बल और पी.ए.सी. के दो ट्रकों को लेकर वहां पहुंचे, लेकिन तब तक भाजपा विधायक जगदीश मुनि, प्रांतीय संगठन मंत्री के.डी. तिवारी के नेतृत्व में वहां जमा कार्यकर्ता पुतला जलाकर जा चुके थे और सपा कार्यकर्ता भी उलटे पांव दौड़ चुके थे।
उधर उक्रांद के धरना स्थल पर नेतागण गर्म और नर्म दो दलों में बंटे नजर आए। उक्रांद के युवाओं द्वारा हिंसा को बढ़ावा देने की नीति का बुजुर्ग नेताओं ने विरोध किया।
इस बीच मुजफ्फरनगर में मारे गए छह लोगों का अंत्य परीक्षण किया गया और उनके शव परिजनों को सौंप दिए गए। चार शव रात ही भेज दिए गए थे। लेकिन बार-बार पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के बारे में जानकारी मांगने पर प्रशासन हरिद्वार में जानकारी देने से लगातार इनकार करता रहा। अधिकारियों का कहना था कि रिपोर्ट मुजफ्फरनगर भेजी जाएगी, लेकिन सूत्रों ने बताया कि मुजफ्फरनगर में सभी युवकों को बहुत नजदीक से सटाकर गोली मारी गई थी।
भाजपा संगठन मंत्री के.डी. तिवारी व क्षेत्रीय विधयक आचार्य जगदीश मुनि ने रात सात बजे दिन भर की कार्रवाई के बाद जारी बयान में कहा है कि इन हत्याकांडों के लिए केंद्र सरकार ज्यादा जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि लोग बी.बी.सी. की इस खबर को सत्य मान रहे हैं कि 39 लोग मुजफ्फरनगर में मारे गए हैं। उन्होंने लोगों को दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए न जाने देने हेतु उठाए गए कदमों की निंदा करते हुए घटना की न्यायिक जाँच की मांग की दोनांे नेताओं ने प्रशासन से संयम व निष्पक्षता से काम करने की भी अपील की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने रात में कनखल ज्वालपुर भेल, हरिद्वार के विभिन्न तिराहों पर मुलायम सिंह यादव के पुतले जलाए।
रूड़की शहर में भी 2 अक्टूबर से ही जबरदस्त तनाव था। यहां भी दुकानें व व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हो गये। 2 अक्टूबर, 1994 को सूरज निकलने के बाद मुजफ्फरनगर में पुलिस की गोली से शहीद हुए चार आन्दोलनकारियों के शव सिविल अस्पताल रूड़की पहुँचने की सूचना मिलने पर लोगों की भीड़ अस्पताल की ओर चल दी। शांति व्यवस्था के लिये पूर्वाह्न 11 बजे गंगनहर थाने के थानाध्यक्ष जी.बी. पान्डे के मय चालक जय भगवान सरकारी जीप सं. यूपी-10-957, एसएसआई अनिल कुमार राघव, कांस्टेबल 708 दिनेश चन्द्र, कांस्टेबल 166 इन्दर पाल, कांस्टेबल 301 ब्रह्मानन्द के सिविल अस्पताल पहुँचे। उनके पहुँचते ही करीब डेढ़-पौने दो सौ लोगों की भीड़ ने पुलिस बल को घेर लिया। आक्रोशित लोगों ने बदले की कार्यवाही में ईंट, पत्थर और डंडों से पुलिस पर हमला कर जीप सं. यूपी-10-957 को आग के हवाले कर दिया। जिसमें जीप के वायरलेस सेट का माइक, स्पेयर स्टेपनी, हुड सीट, जीप की बाडी तथा इंजन जल कर नष्ट हो गया था। जिस पर सरकारी जीप के चालक जय भगवान ने थाना गंगनहर में धारा 147, 148, 336, 436, 427, 332, 353 के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत करवाया। परगनाधिकारी एम.पी. श्रीवास्तव द्वारा अस्पताल के इमरजैंसी वार्ड से कोतवाली पफोन करते ही एक घायल पफौजी ने अपनी बैल्ट से एस.डी.एम. की बुरी तरह पिटाई कर उन्हें लहूलुहान कर दिया, जिन्हें बड़ी मुश्किल से लोगों ने बचाया।
उत्तेजित उत्तराखण्ड समर्थकों ने लंढौरा रोड पर भी एक पुलिस जीप को जलाया। रोडवेज बस अड्डे पर खड़ी 8 बसों को क्षतिग्रस्त कर भीड़ ने जगह-जगह रास्ते जाम कर दिये।
मुजफ्फरनगरर के रामपुर तिराहे से रूड़की नजदीक पड़ता था अतः रूड़कीवासियों ने सामूहिक रूप से घायलों के उपचार एवं भोजन के साथ एम्बुलेंस एवं रहने की व्यवस्था भी की। रूड़की गढ़वाल सभा प्रांगण में सहायता केंद्र खोलकर घायलों के ठहरने, भोजन एवं धन की व्यवस्था की गई। अपनी सामर्थ्य के अनुसार लोगों ने तन, मन, धन से उनकी सेवा और सहायता की, जब तक घायल लोग रूड़की में रहे तब तक अस्पताल में स्थानीय सामाजिक और राजनैतिक संगठनों के प्रतिनिधि उनकी सेवा शुश्रुसा में लगे रहे। गम्भीर रूप से घायल कई लोगों को यहां से चण्डीगढ़ व देहरादून आदि शहरों में भेजा गया।
3 अक्टूबर को रूड़की के आन्दोलनकािरयों को सूचना मिली कि पुलिस ने उत्तराखण्ड के 22 निर्दोष आन्दोलनकारियों को रूड़की जेल में बंद कर दिया है। इस घटना ने आग में घी का काम किया। पुलिस कार्यवाही के विरोध में आन्दोलनकारियों ने रूड़की बंद करने और जुलूस निकालने का निर्णय लिया। संपूर्ण राजमार्ग पर आन्दोलनकारियों ने जेल के आस-पास का इलाका घेर लिया। इससे पूर्व सुबह साढ़े आठ बजे से ही उत्तराखंड समर्थक सुभाष नगर स्थित गढ़वाल सभा भवन में एकत्रा हुए। जहां जुलूस निकालने का निर्णय लिया गया। जुलूस के तौर-तरीकों को लेकर भी बुजुर्ग नेताओं तथा युवकों के बीच शुरू से ही गतिरोध था। अंत में युवक हावी हो गए तथा अपने बुजुर्ग नेताओं की अनसुनी कर वे नारेबाजी करते हुए हाथों में लाठी, डंडे व साइकिलों के पुराने टायर लिए मेन रोड पर आ गए थे। प्रदर्शनकारी युवकों की योजना पहले जेल पर जाकर प्रदर्शन करने तथा वहां बंद 22 आन्दोलनकारी युवकों को छोड़ने की मांग करना भी थी। जेल के पास आकर उनके तेवर आक्रामक हो गए उन्होंने वहां से गुजर रही हिमाचल रोडवेज की बस संख्या एच.पी. 22/0590 व एक मैटाडोर पर पथराव कर क्षतिग्रस्त कर दिया। तथा मैटाडोर में आग लगा दी। उप कारागार के आगे भारी भीड़ के एकत्र होकर नारे लगाने की सूचना पर गंगनहर के एसओ जी.बी. पान्डे पुलिस कर्मियों के लेकर जैसे ही आजाद नगर चौराहे पर पहुँचे तो हाथों में डंडे लेकर दो-ढाई हजार लोगों की भीड़ को अपने साथियों को जेल से छुड़ाने के लिए उत्तेजक नारेबाजी करते देख वे ठिठक गये।
पुलिस पफोर्स की कमी और मौके की नजाकत को देखते हुए पुलिस अपना रास्ता बदलते हुए बीएसएम तिराहे पर आ गई, लेकिन पथरव करती भीड़ वहीं पहुँच गयी। पुलिस की सूचना पर परगनाधिकारी कामरान रिजवी व सीओ रूड़की अरविन्द सेन तथा रूड़की कोतवाली के एसएसआई अनिल कुमार राघव मय पीएसी और अन्य पफोर्स के पहुँचे। अधिकारियों ने भीड़ का समझाने का प्रयास किया लेकिन लेकिन भीड़ नहीं मानी वह लगातार अक्रामक और उग्र होती जा रही थी।
संघर्ष समिति के संयोजक प्रो. सतीश जोशी, भगवान सिंह रावत, वी.पी. बलूनी आदि ने उग्र युवकों को समझ्ााने बुझ्ााने तथा शांति पूर्वक जुलूस ले चलने का आग्रह किया, लेकिन बेकाबू युवकों ने उनकी एक नहीं सुनी तथा हंगामा करते रहे। तब भाजपा नगराध्यक्ष राम नारायण भटेजा, महामंत्राी पी.सी. गुप्ता और मयंक गुप्ता, डा. राकेश त्यागी, पूर्व भाजपा अध्यक्षा ब्रजभूषण शर्मा आदि ने अपने को जुलूस से अलग किया लेकिन इस पर भी ये लोग जुलूस के साथ बने रहे। कुछ देर बाद जुलूस यहाँ से आगे बढ़ा। मार्ग में नेहरू नगर बाग से होकर बनी सड़क के किनारे भरे पानी में एक मैटाडोर गाड़ी पफंस गई, आक्रोशित युवक गाड़ी की ओर बढ़े तो उनके तेवर देखकर थाना प्रभारी गंग नहर व 7-8 पुलिसकर्मियों को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी। उपद्रवी युवकों ने उन्हें दूर तक पथराव कर खदेड़ा। इसी बीच पुलिस की दूसरी टुकड़ी से उक्रांद की महिला कार्यकर्ताओं की आजादनगर चौक पर नोंकझोंक हुई, लेकिन यहाँ कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ। अलबत्ता स्थिति बेकाबू होती देख महिलाएं यहीं से वापस लौट गई थी।
पुलिस द्वारा माइक से लाठी चार्ज करने की चेतावनी का भी भीड़ पर असर नहीं हुआ। उत्तेजित भीड़ ने जेल के मुख्य द्वार पर तोड़पफोड़ के साथ ही पुलिस बल व अधिकारियों पर भारी पथराव शुरू कर दिया । प्रदर्शनकारी इस बात से आक्रोशित थे कि एक तो मुजफ्फरनगर में निहत्थे आंदोलनकारियों को गोली से भून दिया था और दूसरा रूड़की जेल में 22 आन्दोलनकारियों को पुलिस ने बंद कर रखा था। इसलिये उन्होंनेे अपने साथियों को छुड़ाने के लिए जेल की घेराबंदी की। जैसे ही भीड़ को खदेड़ने के लिये पुलिस ने आंसू गैस छोड़ कर लाठी चार्ज शुरू किसा वैसे ही भीड़ बे काबू हो गई। इस पर पुलिस उपाधीक्षक अरविन्द सेन यादव तथा उपजिलाधिकारी कामरान रिजवी के निर्देश पर पुलिस ने गोली चला दी। जिसमें प्रकाश कांति, यादवेन्द्र, संजय सहित कई लोग घायल हुये। घायल अशोक नगर निवासी प्रकाश चंद कांति, यादवेंद्र रावत ;सुभाष नगरद्ध तथा संजीव रावत (राजेंद्रनगर) को सरकारी अस्पताल में भेजा गया, जहां दाएं कंधे व छाती के बीच गोली लगने से घायल प्रकाश चंद्र को प्राथमिक उपचार के बाद मेरठ भेज दिया गया। यादवेंद्र के शरीर पर देशी बंदूक या तमंचे से निकले 20 से अधिक छर्रे लगे थे। संजीव के दाएं पैर में गोली लगी। कुछ दिनों बाद यादवेन्द्र व संजय तो ठीक हो गये किन्तु मेरठ मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल दिल्ली में पाँच महीने तक जीवन मृत्यु से संघर्ष करते हुए कमर के नीचे का भाग निष्क्रिय होने पर मूलतः चमोली की बड़कोट पट्टी के चिरखून गांव का प्रकाश, हमेशा के लिए अपाहिज होकर उत्तराखण्ड आन्दोलन का जिन्दा शहीद बन गया। रूड़की गोलीकाँड के बाद थम्मन सिंह रावत ने अपनी जान पर खेल कर कई घायलों को अस्पताल पहुँचाया था। रूड़की में आन्दोलनकारियों पर जो लाठी चार्ज हुआ उसमें शिवप्रसाद नैथानी का हाथ टूटा और स्व. बुद्धिराम ध्यानी, सुशीला मैन्दोला, परमजीत भण्डारी एवं राकेश डोभाल गंभीर रूप से घायल हुये थे। गोलीकांड और लाठी चार्ज की इन घटनाओं ने देशभर जनता और मीडिया का ध्यान रूड़की की ओर खींचा।
इस घटनाक्रम में पुलिस का आरोप था कि भीड़ ने पुलिस व अधिकारियों पर जान से मारने की नियत से पफायर किया जिसमें परगनाधिकारी कामरान रिजवी व थानाध्यक्ष गंग नहर जीबी पाण्डे को छर्रे लगे। जबकि इस तरह की कोई घटना नहीं हुई थी। हेड कांस्टेबल सन्त सिंह, जयवीर सिंह, मिलाप सिंह, राजकुमार, तेजपाल सिंह, कृष्ण कुमार तथा रवीश कुमार भीड़ द्वारा किये गये पथराव में घायल हुये थे। थानाध्यक्ष गंग नहर ने इस घटना में प्रदर्शनकारियांे के विरू( धारा 147, 148, 149, 307, 336, 436, 427, 332, 353 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कराई।
दूसरी ओर जेल में ड्यूटी पर जाते हुए जेल वार्डन बृजेश चन्द को जेल के बाहर से आन्दोलनकारी बुरी तरह पीटते हुए उसे उठा कर ले गये थे जिसका बहुत देर तक कुछ पता नहीं चल सका था। उप कारागार रूड़की के जेलर शादीराम चौहान ने प्रदर्शनकारियों द्वारा जेल पर आक्रमण कर पफाटक तोड़ने का प्रयास करने, वार्डन को मारपीट कर उठा ले जाने तथा बंदियों एवं जेल की सुरक्षा के लिए तत्काल मदद मांगी थी। बाद में उन्होंने अधीक्षक, उप कारागार रूड़की की ओर से अज्ञात आन्दोलनकारियों के विरू( भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 323, 506, 364 थाना गंगनहर में प्राथमिकी भी दर्ज कराई। रूड़की के हालात बड़े नाजुक हो चुके थे कुछ जिम्मेदार लोगों ने आन्दोलनकारियों को समझा कर बड़ी मुश्किल से तनावपूर्ण स्थिति को संभाला।
मंगलौर थाने में एक अक्तूबर की शाम से बंद गढ़वाल मंडल के विभिन्न स्थानों के 22 युवकों पर मुकदमे कायम कर उन्हें 2 अक्टूबर की सायं ही चालान कर जेल भेजने से उत्पन्न तनावपूर्ण स्थिति के बीच ले. जनरल जगमोहन सिंह रावत, डॉ. अजय गैरोला, डॉ. डी.के. नौडियाल, हर्षप्रकाश काला आदि गणमान्य लोगों ने प्रशासन को स्थित खराब बिगाड़ने के लिए आड़े हाथों लिया। उन्होंने आन्दोलनकारियों को रिहा कराने के लिए दबाव बनाया विवश होकर पुलिस को 3 तारीख की शाम गिरप्फतार कर जेल भेजे गये 22 आन्दोलनकारियों को रिहा करना पड़ा।
दिन पर पूरे शहर में तनाव व्याप्त था। नेहरू नगर बाग में पफंसी मेटाडोर को जलाने के लिए प्रदर्शनकारियों ने दुपहिया वाहनों से जबरन पेट्रोल लेने की कोशिश की, लेकिन सपफल नहीं हो सके। बाद में उसमें आग लगाई गई लेकिन वह पूरी तरह नहीं जली। सी.ओ. रुड़की अपनी जीप व 20-25 पुलिसकर्मियों को लेकर मेटाडोर के पास पहुंचे तो उन्हें भी कई सौ युवकों की भीड़ ने पथराव कर आगे बढ़ने से रोक दिया। प्रदर्शनकारियों के अत्यंत उग्र रूप को देखकर सी.ओ. अरविंद सेन तथा थानाध्यक्ष दोनों उल्टे पैर डिग्री कॉलेज के मैदान से होकर रेलवे रोड पर गए। प्रदर्शनकारियों का पुलिस दल के साथ कई जगह टकराव हुआ। उन्होंने पुलिस की मदद के लिए जा रही पी.ए.सी. की एक बस तथा दो ट्रकों को घेर लिया तथा पथराव कर उन्हें रामनगर व मिलेट्री कालोनी ;यादवपुरीद्ध में घुसने को मजबूर कर दिया। यहां से प्रतीक्षा करने के बाद पी.ए.सी. के वाहन वापस रामपुर चुंगी आकर मेन बाजार से हरिद्वार रोड पहुंचे। इसी बीच प्रदर्शनकारी उत्तराखंड समर्थक घंटे भर से ज्यादा समय तक रामनगर चौक कैंटीन के आसपास डटे रहे और हंगामा करते रहे।
करीब ग्यारह बजे प्रदर्शनकारी युवकों व अन्य उत्तराखंड समर्थकों की भीड़ वापस नेहरू नगर की तरपफ बढ़ी, जहाँ देर तक पुलिस व प्रशासनिक अध्किारियों की मौजूदगी में पुलिस से तनातनी चलती रही। इसी दौरान पुलिस पर पथराव शुरू हो गया। जिससे बचने के लिए कुछ पुलिसकर्मी बी.एस.एम. तिराहे पर एक मकान में घुस गए। पुलिस ने उग्र युवकों को आगे बढ़ने से जब रोकने का प्रयास किया तो उन्होंने पथराव किया। प्रदर्शनकारियों ने उक्त मकान पर चढ़े पुलिस कर्मियों को निशाना बनाकर पथराव कर खिड़कियों दरवाजों के शीशे तोड़ दिए। संघर्ष के बाद स्थिति तनावपूर्ण होने से प्रदर्शनकारी और भी अधिक आक्रामक तेवर में नारेबाजी करने लगे। उस समय वहाँ लगभग् चार हजार की भीड़ एकत्रा हो गई थी।
इसी दौरान अपराह्न ढाई तीन बजे प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पुतला लेकर जुलूस निकाला तथा सिविल लाइन बाजार जाकर कोतवाली के सामने उसे जलाया। पुतला जलाने के बाद जबरदस्त नारेबाजी करते हुए जलूस कचहरी अनशन स्थल पर पहुंचा। कचहरी परिसर में भी युवकों ने पुलिस की भूमिका को लेकर हंगामा किया।
मुजफ्फरनगर और हरिद्वार जनपदों में हुये गोली काण्ड की जांच के लिये 3 अक्टूबर, 1994 की शाम प्रदेश भाजपा की ओर से सांसद भुवन चन्द्र खंडूड़ी की अध्यक्षता में सांसद मानवेन्द्र शाह, पूर्व मंत्राी हरबंश कपूर, केदारनाथ सिंह फोनिया, हरक सिंह रावत, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ तथा मातवर सिंह कण्डारी आदि सात नेताओं का जांच दल रूड़की पहुंचा। इस जांच दल ने उन 22 लोगांे से भी भेंट की जिन्हें थाना मंगलौर की पुलिस ने घटना की शाम गिरफ्तार किया था। रूड़की स्थित गढ़वाल धर्मशाला में उक्त युवकों ने जांच दल को पुलिस षड़यन्त्रा की पूरी जानकारी दी। भाजपा का जांच दल 2 अक्टूबर की घटना मंे घायल हुये छात्रों से अस्पताल में मिला। दल ने पूर्व सिंचाई मंत्री एवं विधायक डॉ. पृथ्वी सिंह विकसित से भी उनके आवास पर भेंट कर हिंसक काण्ड की विस्तृत जानकारी ली। डॉ. विकसित ने ही जांच दल को बताया था कि रूड़की की हिंसा पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण हुई है। उन्होंने बताया कि थाना मंगलौर की पुलिस ने 22 युवकों को पहले पूरी रात थाने में बैठाये रखा पिफर लक्सर थाने ले जाया गया। इनको पूरे समय भूखा-प्यासा रखा गया और बाद में झूठे मामले बनाकर रूड़़की जेल भेजा जिससे उत्तराखण्ड समर्थक उत्तेजित हुये और हिंसक हादसा हुआ। इस घटना में 3 निर्दोष छात्रों को पुलिस की गोली का शिकार होना पड़ा। जांच दल कचहरी परिसर में चल रहे उत्तराखण्ड संयुक्त संघर्ष समिति के धरना स्थल पर भी गया और उनके प्रति अपना पूर्ण समर्थन प्रकट किया।
इसी दिन उक्रांद के वरिष्ठ केंद्रीय उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार, संगठन मंत्राी हरिदत्त बहुगुणा, प्रचार मंत्राी पानसिंह रावत तथा हरिद्वार के जिला महामंत्राी राणा रणवीर सिंह व युवा उक्रांद के जिलाध्यक्ष मुकेश जोशी ने भी नारसन के घटना स्थल का दौरा किया।
कचहरी में उत्तराखंड समर्थक भी हिंसक तरीकों को लेकर दो गुटों में बंट गए थे। उनमें देर तक नोकझोंक होती रही। यहां सभा में एक वक्ता ने गंग नहर थाने के दरोगा राम बाबू सिंह पर अपने देशी तमंचे से पफायर करने व आतंक पफैलाने का आरोप लगाया। मे.ज. रावत ने इस संबंध में आवश्यक जांच कराई जाने व दोषी दरोगा के विरू( कार्रवाई कराने की घोषणा की।
सभा में गोलीकांड का अरोप लगाते हुए कुछ वक्ताओं ने उप जिलाधिकारी कामरान रिजवी व सी.ओ. अरविंद सेन को निलंबित करने की मांग भी की। सभा में भाजपा नेता डॉ. राकेश त्यागी ने मुजफ्फरनगर कांड के दोषी पुलिस कर्मियों को चिन्हित कर पफांसी देने की मांग की। उक्रांद के तहसील संयोजक हर्ष प्रकाश काला, छात्रा नेता नरेंद्र सिंह रावत आदि ने विचार व्यक्त किए।
उत्तराखंड आंदोलन के समर्थन में रूड़की विश्वविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों तथा कर्मचारियों ने भी दोपहर में विश्वविद्यालय परिसर में जुलूस निकाला। जुलूस का नेतृत्व पूर्व कुल सचिव डॉ. एन.एस. भटनागर, प्रो. ए.के. पंत, जी.सी. नायक, विनोद गौड़, प्रदीप शर्मा, योगेश गोयल आदि ने किया। रूड़की कचहरी में अनशन 22वें दिन भी जारी रहा। सांय करीब 4 बजे जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक दयाशंकर सिंह ने रूड़की आकर स्थिति की जानकारी ली। करीब एक घंटा दोनों अधिकारी गंगनहर थाने में रहे।
परगनाधिकारी व सी.ओ. रूड़की ने पुलिस गोली से सिपर्फ प्रकाश चंद कांति तथा संजीव रावत के घायल होने की बात स्वीकार की। रावत को लगे छर्रे के संबंध में उनका तर्क था कि भीड़ में प्रदर्शनकारी युवकों के पास अवैध हथियार थे उन्हीं में से किसी ने गोली चलाई होगी। सी.ओ. अरविंद सेन के अनुसार यादवेंद्र रावत को लगे छर्रे नजदीक से चली गोली से निकले होंगे। सेन ने पथराव में पी.ए.सी. के दो हेड कांस्टेबिल जयवीर सिंह व संत सिंह सहित मिलाप सिंह, राजकुमार, तेजपाल सिंह, कृष्ण कुमार व रवीश कुमार के भी घायल होने की बात कही। एक वरिष्ठ उक्रांद नेता पर भी प्रशासन पथराव में प्रत्यक्ष भागीदारी होने का आरोप लगाया। एक पुलिसकर्मी से कारबाइन हथियार छीनने की कोशिश का आरोप प्रदर्शनकारियों पर लगाया गया था। उनका कहना था कि यदि पुलिस मुकाबला नहीं करती तो नगर में प्रदर्शनकारी व्यापक तोड़पफोड़ व आगजनी करते।
इस दिन प्रातःकाल युवा अधिवक्ता एसोसियेशन के अध्यक्ष चौ. महीपाल सिंह, गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर की उक्रांद छात्र संघर्ष समिति के नेता रतन सिंह बलूनी, रूपेंद्र सिंह चौहान, दिगंबर बहुगुणा, बृजभूषण शर्मा, पीयूष आदि ने भी गढ़वाल सभा परिसर में युवकों एवं महिलाओं को संबोधित किया।
मुजफ्फरनगर गोलीकांड के बाद हुई हिंसक घटनाओं में मात्र दो दिन के भीतर ही मंगलौर, रूड़की व हरिद्वार में हजारों उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारियों के विरूद्ध 18 एफआईआर दर्ज की गई लेकिन आन्दोलनकारियों का आक्रोश कम नहीं हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!