मातृभाषा में छिपा है उन्नति का द्वार – डाॅ. बत्रा

आजादी के 75 वर्ष अमृत महोत्सव में ‘हिन्दी पखवाड़ा’ के अन्तर्गत हरिद्वार के एस.एम.जे.एन. काॅलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा आनलाईन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के अन्तर्गत ‘हिन्दी की व्यावहारिकता’ विषय पर विचार एवं हिन्दी भाषा पर स्वरचित कविता प्रस्तुत की गयी। छात्र-छात्राओं ने वीडियो, पोस्टर एवं कविता के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रति अपने भाव एवं विचारों की सुन्दर अभिव्यक्ति की। प्रतियोगिता में मिली तिवारी, वैशाली भट्ट, भूपेन्द्र कुमार, सपना स्वाई, नैना अरोड़ा, कार्तिक, कीर्ति पाण्डेय, गुलशाना, साहिबा, छाया, जयति त्रिपाठी, विशाल त्यागी, उमा, नेहा, नैनिका, मयंक सिंह, खुशबू, मनवुन, रिया, जाहन्वी, महिला, खुशी गुप्ता, प्रियंका मिश्रा, अर्चना वर्मा, मयंक सिंह, सुमिता थापा, लक्ष्मी सिंह, निशा, महक, किरण, तान्या, अक्षिता, रूपाली, फहीम, आमिर, आकाश चौधरी, अर्चना, अंजली, प्रभा प्रसाद आदि छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।  काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनायें प्रेषित करते हुए कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है जिसका विश्व में भी एक अपना विशिष्ट स्थान है। हिन्दी सरल, स्पष्ट एवं भावात्मक होने के कारण सर्व सामान्य द्वारा ग्रहण की जा सकती है। उन्होंने अपने हस्ताक्षर हिन्दी में करने की अपील उपस्थित छात्रा-छात्राओं एवं प्राध्यापकों से की। डाॅ. बत्रा ने हिन्दी भाषा को व्यावहारिक ज्ञान की भाषा बताते हुए कहा कि मातृभाषा ही उन्नति का वास्तविक मार्ग है, क्योंकि ‘‘निजभाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल’’।    *प्रतियोगिता में हिन्दी की* *व्यावहारिकता में कार्तिक ने प्रथम, चैताली भट्ट ने द्वितीय, नैना अरोड़ा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।**स्वरचित कविता में तिका आत्रे ने प्रथम, पूजा ने द्वितीय व मनुवन ने तृतीय तथा पोस्टर में शालिनी सिंह ने प्रथम, साहिबा-श्रुति गुप्ता ने द्वितीय व साहिबा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।*  मुख्य अनुशासन अधिकारी डाॅ. सरस्वती पाठक ने कहा कि आधुनिक भाषाओं की आदि जननी संस्कृत है। डाॅ. पाठक ने कहा कि हिन्दी एक ऐसी भाषा है जिसने हमारी संस्कृति एवं साहित्य को संजोकर रखा है। आधुनिक हिन्दी अपने नये रुप के साथ निरन्तर गतिशील है। अधिष्ठाता छात्रा कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने राष्ट्र भाषा हिन्दी को प्रधानता देते हुए कहा कि हमारा सम्पूर्ण जीवन ही हिन्दी भाषा पर टिका है। हमारी प्रतिदिन की क्रियायें हिन्दी में ही होती हैं। अतः हिन्दी का विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान है। हिन्दी विभाग की शिक्षिका डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा व डाॅ रेनू सिंह ने संयुक्त रुप से वर्तमान में हिन्दी भाषा की दशा और दिशा पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी की समृद्धि से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे सभी अपनी शैली को हिन्दी में व्यक्त करें।

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