इस बार पड़ेगी हाड़ कंपा देने वाली ठंड, माइनस में जायेगा पारा

रिमझिम बारिश और बर्फ से लकदक वादियां हर किसी को अच्छी लगती हैं लेकिन जब यह जरूरत से ज्यादा होती हैं तो परेशानी का सबब भी बन जाती हैं। इस साल देर से मानसून विदा होने के कारण ठंड का अहसास काफी पहले होने लगा था। जब तेजी से मौसम बदल रहा है। विगत दिनों हुई बर्फबारी के कारण पहाड़ से लेकर मैदान तक ठिठुरन बढ़ गयी है। यह ठिठुरन इसलिए भी बढ़ने वाली है, क्योंकि मौसम विज्ञानियों ने इस बार उत्तराखण्ड में रिकार्ड तोड़ ठंड की संभावना जतायी है। उनका भी यही कहना है कि उत्तराखण्ड से मानसून देर से विदा हुआ है और हाल में भी पर्वतीय क्षेत्र के ऊँचे इलाकों में भारी बर्फबारी हुयी है। जिसका का प्रभाव सर्दियों में व्यापक रूप से देखने को मिलेगा। वैज्ञानिकों को कहना है कि ‘ला-नीना’ के असर के कारण भी कड़ाके की ठंड की संभावना बन रही है। यह समु्द्र का पानी ठंडा होने की एक प्रक्रिया है जिसे ला-नीना और गर्म होने की प्रक्रिया को अल-नीनो कहते हैं। इसका सीधा असर हवाओं पर पड़ता है। इसीलिए ला.नीना के असर के कारण मौसम विभाग ने उत्तर भारत के साथ ही उत्तर पूर्व एशिया में ठंड की चेतावनी जारी की है। इस साल प्रशांत क्षेत्र में ला.नीना तेजी से उभर रहा है। संभावना जतायी जा रही है कि उत्तराखण्ड के कई पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है। खासतौर पर कई पहाड़ी इलाकों में तापमान माइनस में जा सकता है। कुछ दिनों में ही उत्तराखण्ड की तराई से लेकर पहाड़ तक न्यूनतम तापमान में सामान्य से दो से तीन डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉण् आरके सिंह का कहना है कि दीपावली की रात तराई का अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है।

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