भारत की पुरुष हॉकी टीम नेओलंपिक क्वार्टर फाइनल में ब्रिटेन को 3.1 से हराया

भारत के लिए आज एक अच्छी खबर आयी है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। कोच ग्राहम रीड और कप्तान मनप्रीत सिंह की टीम ने 41 साल बाद भारत को हॉकी के सेमीफाइनल में पहुंचाने में सफलता हासिल की है। भारत ने 1980 के मॉस्को ओलिंपिक के बाद पहली बार पुरुष हॉकी के अंतिम-4 में अपनी जगह बनाई. टीम इंडिया ने आखिरी क्वार्टर फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराया। सेमीफाइनल में भारत की टक्कर मौजूदा विश्व चौंपियन और नंबर एक रैंक टीम बेल्जियम से होगी। भारत ने 1980 के बाद से ओलिंपिक में कोई मेडल नहीं जीता है और इस बार टीम मेडल के बेहद करीब है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पूल स्टेज में 1-7 से मिली हार के झटके के बाद भारतीय टीम ने जबरदस्त वापसी की और लगातार 4 मैच जीतकर सेमीफाइनल का टिकट कटाया है। भारतीय टीम ने पहले दो क्वार्टर में ही बढ़त हासिल करते हुए ब्रिटेन को बैकफुट पर धकेला. इसके बाद टीम ने अगले दो क्वार्टर में भी मैच पर अपनी पकड़ बनाए रखी. टीम की फॉरवर्ड लाइन ने अगर गोल कर बढ़त दिलाई, तो डिफेंस ने, खास तौर पर अनुभवी दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कुछ बेहतरीन सेव के जरिए उसे बरकरार रखने में मदद की। पहला हाफ पूरी तरह से भारत के नाम रहा, जिसमें टीम इंडिया ने दोनों क्वार्टर में एक-एक गोल किए. भारत ने पहले क्वार्टर से ही अपना हमला शुरू कर दिया और ब्रिटेन के सर्किल को भेदते हुए कई मौके बनाए। इसका फायदा जल्द ही भारत को मिला भी। 7वें मिनट में दिलप्रीत सिंह ने भारत को बढ़त दिला दी. भारत के लिए अपना 50वां मैच खेल रहे दिलप्रीत सिंह ने मैदानी गोल कर भारत को मैच में आगे किया। पांच मिनट बाद ही श्रीजेश ने एक बेहतरीन सेव से ब्रिटेन की बराबरी के मौके को रोका। पहला क्वार्टर 1-0 से भारत के पक्ष में रहा और फिर दूसरे क्वार्टर की शुरुआत भी दमदार रही। 16वें मिनट में ही गुरजंत सिंह ने भारत की बढ़त को 2-0 कर दिया. शमशेर सिंह ने ब्रिटेन के पास को इंटरसेप्ट किया और तेजी से इसे गुरजंत की ओर सरकाया, जिन्होंने जबरदस्त गोलकर भारत को 2-0 से आगे कर दिया। दूसरा क्वार्टर का अंत भारत की 2-0 से बढ़त के साथ खत्म हुआ। तीसरे क्वार्टर में दोनों टीमों के बीच टक्कर बराबरी की रही। हालांकि मैच में वापसी की कोशिश में जुटी ब्रिटिश टीम ने अपने हमले बढ़ाए, लेकिन भारतीय डिफेंस लाइन में डटकर सामना किया. क्वार्टर खत्म होने से ठीक एक मिनट पहले ब्रिटेन को लगातार 3 पेनल्टी कॉर्नर मिले और तीसरी कोशिश में ब्रिटेन ने भारतीय गोल को भेदकर स्कोरलाइन को 2-1 कर दिया। चौथे क्वार्टर में ब्रिटेन के हमलों में और इजाफा हुआ और भारत को अटैक के मौके नहीं मिले। ब्रिटेन को इस दौरान पेनल्टी कॉर्नर भी मिले, श्रीजेश ने दीवार की तरह खड़े होकर गेंद को गोल में जाने से रोका. हालांकि, भारत को मैच खत्म होने से 7 मिनट पहले झटका लगा, जब फाउल पर कप्तान मनप्रीत सिंह को येलो कार्ड दिखाया गया और 5 मिनट तक भारत को सिर्फ 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा
आखिरी मिनटों में ब्रिटेन के हमले बढ़ गए, लेकिन 10 खिलाड़ियों के साथ मैदान में जमी भारतीय टीम ने जबरदस्त काउंटर अटैक किया और 57वें मिनट में हार्दिक सिंह ने एक बेहतरीन गोल ठोककर भारत की बढ़त को 3-1 कर दिया। आखिरी 3 मिनटों में भारत ने ब्रिटेन को और कोई गोल नहीं करने दिया और 3-1 की जबरदस्त जीत के साथ सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की। 1980 के बाद भारतीय टीम पहली बार मेडल के लिए दावेदारी पेश करेगी।

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