UP स्टाइल में सफाया, असम में 2 महीने में 12 अपराधियों का एनकाउंटर; विपक्ष ने पुलिस को बताया क्रूर

असम में हिमंत बिस्व सरमा की अगुआई में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद से अचानक मुठभेड़ों की संख्या बढ़ गई है। महज दो महीने में ‘भागने की कोशिश’ के दौरान कम से कम 12 अपराधी और संदिग्ध विद्रोही पुलिस एनकाउंटर में मारे गए हैं। इससे पहले यूपी में जब योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की बागडोर संभाली तो बड़ी संख्या में एनकाउंटर हुए थे। भी कुछ इसी तरह अपराधियों का एनकाउंटर हुआ था। यूपी स्टाइल में अपराधियों के सफाए को लेकर असम में राजनीति भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों का कहना है कि हिमंत बिस्व सरमा की अगुआई में पुलिस क्रूरता कर रही है।

हालांकि, असम पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि असल में उग्रवादी और अपराधी पुलिसकर्मियों को फायरिंग के लिए मजबूर कर रहे हैं। स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (लॉ एंड ऑर्डर) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, ”पिछले कुछ महीनों में पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करते हुए पुलिस फायरिंग में करीब 12 अपराधी मारे गए हैं।”

इनमें से दिमाशा नेशनल लिब्रेशन आर्म (DNLA) के 6 संदिग्ध उग्रवादी और यूनाइटेड पीपल्स रेवोलूशरनी फ्रंट (UPRF) के दो विद्रोही शामिल हैं, जो कार्बी अंगलोंग जिले में अलग-अलग एनकाउंटर्स में मारे गए। चार अन्य संदिग्ध अपराधी धेमाजी, नालबाड़ी, सिवसागर और कार्बी अंगलोंग में मारे गए हैं। मारे गए आरोपियों में से कई ने कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों से सर्विस पिस्टल छीन ली थी, जिसके बाद एनकाउंटर्स हुए।

कुछ एनकाउंटर्स ऐसे समय पर हुए जब पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तारी का प्रयास किया या क्राइम सीन को दोबारा क्रिएट करने के लिए मौके पर ले जाने के समय भागने की कोशिश की। अधिकारी ने कहा, ”जब इन अपराधियों और उग्रवादियों ने भागने की कोशिश की तो पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। केवल वही बता सकते हैं कि उन्होंने भागने की कोशिश क्यों की।”

मुठभेड़ों की संख्या में अचानक इजाफे की वजहों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसे किसी केस में जांच नहीं बिठाई गई है, जिनमें अपराधी घायल हुए हैं। जिन घटनाओं में किसी की जान गई है उन मामलों को संबंधित अथॉरिटीज जैसे नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन को प्रक्रिया के तहत जानकारी दी गई है। ऐसे लोग जो एनकाउंटर्स में घायल हुए हैं वे रेप और पशु तस्करी के आरोपी हैं।

एनकाउंटर्स की संख्या में इजाफे पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने कहा कि असम पुलिस अपनी लापरवाहियों पर पर्दा डालने और नई सरकार को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है। उन्होंने कहा, ”जब अपराधी पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करते हैं तो यह पुलिस की ढिलाई है। अपराधियों को क्राइम सीन पर ले जाया जाता है और वे भागने की कोशिश करते हैं, यह रूटीन मामला हो चुका है। ऐसा लग रहा है कि असम पुलिस गोली मारने को तैयार है।”

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि पुलिस नई सरकार के सामने खुद को साबित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन यदि वह अपना काम ठीक से करे तो इस तरह के हथकंडे की जरूरत नहीं होगी। रायजोर दल प्रमुख और विधायक अखिल गोगोई ने भी आरोप लगाया कि एनकाउंटर के नाम पर पुलिस खुलेआम हत्या कर रही है। उन्होंने कहा, ”अपराधी मारे जा रहे हैं, इसलिए कोई कुछ नहीं बोल रहा है। यह स्वीकार्य हो जाने के बाद आम लोगों को निशाना बनाया जाएगा, तब हमें समस्या होगी।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!