उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत मंत्रिमंडल से बर्खास्त, भाजपा से भी 6 साल के लिए बाहर

सरकार और संगठन में अपनी बाते मनवाने के लिए दबाव की राजनीति कर अपनी हनक दिखाने वाले उत्तराखण्ड के कैबीनेट मंत्री हरक सिंह रावत को मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर बाहर का रास्ता दिखा दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने भी हरक सिंह को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर निकाल दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरक सिंह रावत को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया है। वहीं, बीजेपी ने भी हरक सिंह के खिलाफ एक्शन लेते 6 साल तक के लिए पार्टी से निकाल दिया है।
ताजा मामला विधानसभा चुनाव में टिकट की मांग को लेकर था। वे कोटद्वार की सीट बदलने और परिवार के तीन लोगों के लिए टिकट मांग कर वह भाजपा पर लगातार दबाव बना रहे थे तो दूसरी ओर कांग्रेस में अपनी वापसी की राह भी तैयार करने में जुटे थे। अपनी बहु अनुकृति गुसांई (रावत) के लिए लैंसडौन सीट से टिकट चाहते थे। जिसका लैंसडाउन विधायक दिलीप सिंह रावत ने पुरजोर विरोध भी किया था। पार्टी नेतृत्व द्वारा मांग खारिज किये जाने से नाराज हरक दिल्ली रवाना हो गए थे। माना जा रहा था कि हरक कांग्रेस में शामिल हो सकते है। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रविवार शाम दिल्ली के लिए अचानक रवाना हुए थे। इससे पहले वे शनिवार को ही दिल्ली से देहरादून पहुंचे थे। वे भाजपा की कोर कमेटी की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। इसे उनके दबाव बनाने की राजनीति का हिस्सा माना जा रहा था। ऐसे में उनके दोबारा दिल्ली रवाना होने से साफ हो गया था कि सब कुछ सामान्य नहीं है। जिस पर मुख्यमंत्री धामी और भाजपा द्वारा उनके विरूद्ध कड़ा निर्णय लेने का फैसला कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये हरक सिंह रावत अक्सर बगावती तेवरों के लिए जाने जाते रहे हैं। कर्मकार बोर्ड की अनियमितताओं और नियुक्तियों को लेकर भी उनका तत्कालीन मुख्यमंत्री से टकराव हुआ। कई बार उनकी भाजपा के तेतृत्व से तकरार हुई है। चर्चाएं हैं कि सरकार और भाजपा से निकाले जाने के बाद अब हरक सिंह रावत पुनः कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।

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