देवीधुरा में बगवाल : पाषाण युद्ध में 77 घायल


रक्षा बंधन के अवसर पर उत्तराखण्ड के चंपावत जिला अंतर्गत देवीधुरा में खेली गई सुप्रसिद्ध बगवाल में 77 से अधिक लोग घायल होग गये। मां बाराही देवी मंदिर के सामने खोलीखांण दुर्बाचौड़ मैदान में पहले सांकेतिक रूप में फल-फूलों के साथ बगवाल आरंभ होने के बाद जमकर पत्थर चले। सदियों से रक्षाबंधन के दिन होने वाले इस परंपरागत पाषाण युद्ध से पहले प्रातः मां बाराही मंदिर में पूजा प्रारंभ हुई। बाद में मंदिर की परिक्रमा और पूजन के बाद बगवाल का आगाज हुआ। गहरवाल, चम्याल, लमगड़िया व वालिग चार खामों और सात तोकों के योद्धाओं ने फर्रे के साथ मां बाराही मंदिर की परिक्रमा कर मां का जयकार किया। बाराही मंदिर में पुजारी कीर्तिबल्लभ शास्त्री ने प्रातः 11 बजकर 2 मिनट पर शंखध्वनि कर बगवाल का शुभारंभ किया। करीब 7 मिनट 57 सेंकेड हुई हुई गवाल में वालिग खाम के प्रमुख बद्री सिंह बिष्ट सहित 77 से अधिक लोग घायल हो गये। बगवाल में गहरवाल खाम के रणबांकुरों का नेतृत्व मोहन सिंह बिष्ट, चम्याल खाम का गंगा सिंह, लमगड़िया खाम का वीरेंद्र सिंह और वालिग खाम के रणबांकुरों का नेतृत्व बद्री सिंह बिष्ट ने किया। बगवाल समाप्ति के उपरान्त चारों खामों के रणबाकुरों ने एक दूसरे की कुशल क्षेप पूछने के बाद बाराही मंदिर में माथा टेका।
बता दें देवीदुरा बाराही देवी मंदिर में सैकड़ों वर्षों से श्रावणी पूर्णमासी, रक्षा बंधन के दिन भव्य मेले का आयोजन होता है इस दिन यहां की चार खामों में पत्थरों से युद्ध की परंपरा चली आ रही है। वर्षों पहले इस पाषाण युद्ध में कई लोग गंभीर घायल हो जाते थे। बाद में मंदिर कमेटी और ओर प्रशासन की पहल पर इसे सांकेतिक स्वरूप प्रदान कर दिया गया जिसके तहत फूल, फलों के साथ सांकेतिक रूप से पाषाण युद्ध होता है। व्यवस्था बनाने के लिए प्रशासन की ओर मेडिकल टीम सहित तमाम व्यवस्थाएं की जाती हैं और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद रहते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते अधिक बाहरी लोगों के यहां आने पर रोक थी। लेकिन बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु और दर्शक यहां पहुंच

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