सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय : अवैध है आर्य समाज का मैरिज सर्टिफिकेट। जारी करने का अधिकार नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए वर्षों से आर्य समाज की ओर से जारी किए जाने वाले शादियों के प्रमाण पत्रों को अवैध करार दिया है। अदालत ने गत शुक्रवार को एक केस की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागारत्ना की बेंच ने कहा कि आर्य समाज का काम और उसका अधिकार क्षेत्र शादियों के सर्टिफिकेट जारी करना नहीं है। अदालत ने कहा कि यह काम कोई सक्षम प्राधिकारी ही कर सकता है। मध्य प्रदेश में हुए एक प्रेम विवाह के मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की।
दरसल मध्य प्रदेश में प्रेम विवाह के मामले में एक लड़की के परिवार ने पुलिस में एफआईआर दर्ज कराते हुए युवक पर नाबालिक लड़की का अपहरण और रेप का आरोप लगाया था। मामले में पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। इस पर युवक ने अर्जी दाखिल कर दावा किया था कि उसके साथ आई लड़की बालिग है और दोनों ने केे पास शादी करने का अधिकार है। उसका कहना था कि हम दोनों ने आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली है। युवक ने आर्य समाज की संस्था सेंट्रल भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा जारी मैरिज सर्टिफिकेट भी दिखाया था। इसी प्रमाण पत्र को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए आर्य समाज की ओर से शादियों का सर्टिफिकेट जारी किए जाने पर ही सवाल उठाए हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में आर्य समाज के सर्टिफिकेट को खारिज नहीं किया था। जिस पर फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने पहले ही हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। अब उसके सर्टिफिकेट जारी करने के अधिकार को भी खारिज कर दिया है।

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