एक जनवरी के बाद फ्रीज हो सकता है आपका बैंक खाता, जानें- क्या है कारण और क्या करना होगा उपाय

एक जनवरी, 2022 के बाद आपका बैंक खाता और कुछ अन्य वित्तीय सेवाएं फ्रीज की जा सकती है। नए साल में यह झटका ग्राहकों को उनके आईडी और एड्रेस प्रूफ संबंधी दस्तावेज न जमा करने को लेकर दिया जा सकता है। कारण है- 31 दिसंबर 2021 को नो योर कस्टमर (केवाईसी) मानदंड का पालन न करने वाले ग्राहकों के खिलाफ बैंकों द्वारा कार्रवाई पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रोक खत्म हो जाएगी।

ऐसे में किसी भी वक्त सैकड़ों कस्टमर्स की केवाईसी वैधता समाप्त हो सकती है। हालांकि, थोड़ी बहुत कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि आरबीआई ने बैंकों से कहा था कि वे कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर केवाईसी पर जोर न दें। केवाईसी मानदंडों को अपडेट करने की जरूरत केवल बैंकों के लिए नहीं है बल्कि प्रत्येक विनियमित वित्तीय संस्था के लिए है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह धनशोधन रोधी कानूनों (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग लॉ) का हिस्सा है। इसमें फाइनेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड, ब्रोकिंग हाउस और डिपॉजिटरी शामिल हैं।

बैंकर्स का कहना है कि कम जोखिम वाले खातों में ग्राहकों के लिए केवाईसी को हर 10 साल में एक बार अपडेट करने की जरूरत है। हालांकि, अधिक रिस्क के तौर पर वर्गीकृत लोगों को हर दो साल में एक बार अपना खाता अपडेट करना होगा। इसके अलावा, डॉर्मेंट और डिएक्टिवेट (निष्क्रिय) खातों को भी अनफ्रीज या फिर से एक्टिव करने के लिए नए केवाईसी अपडेट की जरूरत पड़ती है।

वैसे, अधिकांश ग्राहकों के लिए 10 साल में केवल एक बार अपडेट करने की जरूरत होती है। बैंकर्स के मुताबिक, अधिक लगातार अपडेट की जरूरत तब होती है जब कुछ केसों में पेश दस्तावेज आधिकारिक वैध दस्तावेजों की सूची का हिस्सा नहीं हो सकते हैं। साथ ही, जहां ग्राहकों ने खाता बदल दिया है और बैंक को कम्युनिकेशन वाला पत्र लौटा दिया गया होता है, तब केवाईसी नए सिरे से करनी होगी।

बैंक समेत विनियमित संस्थाओं के पास अब केवाईसी मानदंडों का पालन करने के लिए अब कई विकल्प हैं। इनमें वीडियो केवाईसी, डिजिलॉकर के जरिए दस्तावेजों को शेयर करना शामिल है। फिर भी कई ने अभी भी इसका अनुपालन नहीं किया है। चूंकि, ऑनलाइन दौर में फिशिंग अटैक्स के मामले भी बढ़े हैं। ऐसे फर्ज़ीवाड़े के मामलों की संख्या के मद्देनजर केवाईसी के इस्तेमाल को लेकर ग्राहक भी इससे जुड़े मैसेज और कॉल्स से पहले के मुकाबले काफी सतर्क और सावधान हो गए हैं।

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