हाईकोर्ट पहुंचा हरिद्वार पुस्तकालय घोटाला: सीबीआई जांच की मांग

वर्ष 2010 के दौरान हरिद्वार में करीब डेढ़ करोड़ के पुस्तकालय निर्माण में हुई धांधली का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। याचिकाकर्ता ने मामले में न्यायालय से सीबीआई जांच कराने की मांग की है। नैनीताल हाईकोर्ट बुधवार को देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल द्वारा हरिद्वार में 2010 में पुस्तकालय निर्माण में हुई धांधली के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई मामले मामले की सुनावाई में कोर्ट ने नगर निगम हरिद्वार से तीन सप्ताह के भीतर पुस्तकालयों की स्थिति को लेकर जवाब पेश करने को कहा है।
याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल ने हाई कोर्ड में दाखित अपनी याचिका में विधायक सहित तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता पर धांधली में संलिप्तता के बड़े आरोप लगाये हैं। उन्होंने मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था। पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दिया गया, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को दिया गया। विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट होती है। लेकिन, विभाग के अधिशासी अभियंता और सीडीओ द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगाकर पेमेंट कर दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है।

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