सिद्धपीठ दक्षिण काली मंदिर क्षेत्र में अतिक्रमण पर नोटिस

त्रिलोक चन्द्र भट्ट
हरिद्वार में धार्मिक संस्थाओं द्वारा किये गये अतिक्रमण किसे से छिपे नहीं हैं। लेकिन इन संस्थाओं के संचालकों की राजनैतिक पहुंच और प्रभाव के आगे सरकार और प्रशासन दोनों बौने साबित होते रहे हैं । जिस कारण यहां जगह-लगह सरकारी भूमि पर स्थायी और पक्के निर्माण कर कब्जों की बाढ़ आयी हुई है। सरकार चाहे किसी की भी रही हो लेकिन वह धार्मिक संस्थाओं से अतिक्रमण हटाने की हिम्मत नहीं कर पायी। जबकि गरीबों और आम आदमी के मामूली और अस्थायी अतिक्रणों को हटाने में देर नहीं की जाती।
हाल में ही सिंचाई विभाग ने सिद्धपीठ दक्षिण काली मंदिर चंडीघाट के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी के मैनेजर शिव कुमार को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर पक्का निर्माण करने पर नोटिस जारी किया है। यह नोटिस देने का ढोंग तब दिया गया है जब वर्षों से सरकारी भूमि पर चल रहे कब्जा करने के अभियान के तहत सिंचाई विभाग और वन विभाग की करोड़ो की भूमि को लील कर उसका प्राकृतिक और पौराणिक स्वरूप ही नेस्तानाबूद कर वहां कंक्रीट की अट्टालिका खड़ी कर दी गयी है। अब सिचाई विभाग के नोटिस में 15 दिन में अतिक्रमण हटाने के लिए कहा गया है। ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। दरसल मैनेजर तो केवल मोहरा है। यहां अतिक्रमण का काम तो किसी और के ही इशारे हुआ है। जिसको नंगी आंखो से देखने वाले सब अंधे बने रहे। जब चंडीधाट पर पक्का निर्माण पूरो हो गया तब उत्तराखंड सिंचाई विभाग को याद आया कि उसकी जमीन पर पक्का निर्माण हो गया है। निर्माण के चलते उसने जरूरत ही नहीं समझी कि इसे रोका जाना चाहिए। क्योंकि सब जानते हैं कि प्रभावशाली संतों के निर्माण पक्के बन जाने के बाद उन्हें हटाना आसा नहीं होता। इसीलिए निर्माण के पक्के होने का इंतजार किया जाता रहा।
अब सिंचाई विभाग का हरिद्वार खंड अपने नोटिस में कह रहा है कि उत्तराखंड सिंचाई विभाग की जमीन चंडीघाट मेला क्षेत्र में है और सिंचाई विभाग की जमीन पर बिना किसी अनुमति के भूमि को क्षतिग्रस्त करते हुए उस पर पक्का अवैध निर्माण कर लिया गया है। विभाग का कहना है कि इस संबंध में कार्यालय के सींचपाल और सींच पर्यवेक्षक की ओर से पक्के निर्माण को हटाने के लिए बार-बार कहा गया, लेकिन उनकी ओर से पक्का निर्माण नहीं हटाया गया, इसलिए नोटिस जारी कर 15 दिन में अवैध पक्का निर्माण हटाकर सरकारी जमीन को खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। इस समयावधि में अवैध निर्माण नहीं हटाने पर सिंचाई विभाग को कानूनी कार्रवाई करनी। सिंचाई विभाग और जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को जनता को यह जवाब देना चाहिये कि जब व और नेता, नौकरशाह, मंत्री महाराज जी के चरण वंदना करने जाते रहे हैं तो क्या उन्हें यह नहीं दिखाई दे रहा था कि वहां क्या हो रहा है?

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