आपरेशन राहुल : 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरे मूक-बधिर को बचाने के लिए देश का सबसे बड़ा रेसक्यू ऑपरेशन, 5 दिन तक दिन-रात जुटी रही 500 अधिकारी-कर्मचारियों की फौज
छत्तीसगढ़ में जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा ब्लाक अंतर्गत ग्राम पिहरीद में करीब 65 फीट गहरे बोरवेल में गिरे 10 वर्षीय मूक-बधिर बच्चे का जीवन बचाने के लिए दिन-रात जुटे बचाव दल को अंततः कामयाबी मिल गयी है। मासूम 80 फीट की गहराई वाले गड्ढे में गिरा और 65 फीट में फंस गया था। बोरवेल में गिरे एक मूक-बधिर बच्चे को बचाने के लिए 5 दिन तक करीब 105 घंटे चले देश के इस सबसे बड़े रेसक्यू ऑपरेशन में बचाव दल के सदस्यों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अभियान में सफलता प्राप्त करने तक जुटे रहे। रात 11.56 बजे राहुल को सुरंग के माध्यम से बोर से निकाला गया। बोर के समानांतर पहले गड्ढा खोदा गया, उसके बाद 20 फीट सुरंग बनाकर राहुल का रेस्क्यू किया गया। पहले बच्चे को रस्सी को रस्सी के सहारे निकालने का प्रयास किया गया, कोई सफलता नहीं मिलने पर दुर्ग-भिलाई, रायपुर, बिलासपुर सहित दूसरे राज्यों ओडिशा, गुजरात, आंध्र प्रदेश से रेस्क्यू टीम को बुलाया गया।
हालांकि राहुल को बचाने रविवार 12 जून को गुजरात से रोबोट इंजीनियर महेश अहिर के नेतृत्व पिहरीद पहुंची और उनके द्वारा रोबोट को उतारकर बालक को बाहर निकालने का प्रयास किया गयाए लेकिन बालक किनारे में बैठे होने के कारण रोबोट की जद में नहीं आ सका। टीम ने पाइप व रस्सी के माध्यम से उसे निकालने दोबारा प्रयास किया। मगर बालक सुन और बोल नहीं सकता था इसलिए उसने रस्सी नहीं पकड़ी और रोबोटिक टीम को राहुल को निकालने में सफलता नहीं मिली।
सुनने और बोलने में अक्षम व मानसिक रूप से कमजोर होने के बावजूद इन पांच दिनों में बालक ने गजब के साहस का परिचय दिया। जिस दिन राहुल गड्ढे में गिरा था उसके दूसरे दिन शनिवार से उसे केला, फ्रूटी और सेब दिया गया। सोमवार की शाम को उसने आखिरी बार गड्ढे में केला खाया व फ्रूटी पी। जबकि मंगलवार को उन्होंने दिनभर कुछ नहीं खाया। रविवार को उन्होंने उसने छिलका भी डिब्बे में डालकर ऊपर भेजा था और बोर का पानी खाली करने में भी मदद की।
बता दें कि 10 जून, 2022 को बोरवेल में गिरने के बाद 14 जून तक जिला प्रशासन, पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के जवानो सहित स्थानीय ग्रामीण भी धटनास्थल पर मदद के लिए डटे रहे। 10 जून में घटना की सूचना मिलते ही राहुल को बचाने के लिए गड्ढा खोदने का काम शुरू हो गया था। दूसरे और तीसरे दिन भी गड्ढा खोदने का काम चला। सोमवार को सुरंग बनाने का काम हुआ जो मंगलवार सुबह तक चला। दोपहर को चार फीट ऊपर बोर की ओर पत्थर काटने का काम किया गया। अंततः राहुल को सकुशल बाहर निकालने में बचाव दल को सफलता मिल गयी। उसे बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाने के लिए पहले ही ग्रीन कारिडोर तैयार कर लिया गया था।
कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल के साथ 4 आइएएस, 4 आइपीएस, 1 एएसपी, 4 डिप्टी कलेक्टर, 5 तहसीलदार, 4 डीएसपी, 8 इंस्पेक्टर समेत रायगढ़, दुर्ग, बिलासपुर से भी बचाव दल जी जान से लगा हुआ है। साथ ही पुलिस के करीब 120 जवान बचाव कार्य में लगे रहे। इसके अलावा 32 एनडीआरएफ, 15 एसडीआरएफ और सेना के जवान सहित करीब 500 अधिकारियों- कर्मचारियों की फौज दिन रात एक किए हुये थी। इनके साथ ही 4 पोकलेन, 6 जेसीबी, 3 फायर ब्रिगेड, हाइड्रा स्टोन ब्रेकर, 10 ट्रैक्टर, ड्रील मशीन, होरिजेंटल ट्रंक मेकर, जैसी मशीनों अत्याधुनिक मशीनों और उपकरणों से काम लिया गया।