सेवा समाप्ति के आदेश पर हाईकोर्ट पहुंची हरिद्वार की पूर्व जज

14 साल की बच्ची को चाइल्ड़ लेवर की तरह कर उसके साथ जुल्म और मारपीट मामले में नौकरी गवां चुकी हरिद्वार की पूर्व जज सिनियर डिविजन दीपाली शर्मा 14 अक्टूबर, 2020 को जारी सेवा समाप्ति आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची है। उन्होंने सेवा समाप्ति आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी है कि जांच अधिकारी ने पक्षपात किया है क्योंकि शिकायतकर्ता व जांच अधिकारी बैच मेड हैं। दीपाली का कहना है कि उन्होंने अपनी पदोन्नति के लिये प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट भेजा था, इसके चलते भी ये कार्रवाई अमल में लाई गई है । याचिका में कहा गया है कि जांच पक्षपात होने की याचिका हाईकोर्ट में अब भी विचाराधीन है और 5 सितंबर 2020 को सरकार ने क्रिमनल केस वापस ले लिये तो दूसरी कार्रवाई कैसे की जा सकती है? पूर्व जज दीपाली ने कहा है कि उनकी सेवा समाप्ति का आदेश उनको सुनवाई का अवसर प्रदान किये बगैर हुआ है जो प्राकृतिक न्याय व उत्तराखण्ड सरकारी सेवा अनुसाशन एंव अपील नियमावली नियम 15 के खिलाफ है, अन्तिम आदेश पारित करना गलत है।
यहां यह बताना जरूरी है कि 10 जनवरी 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट को हरिद्वार सीनियर डिवीजन जज दीपाली शर्मा के खिलाफ एक शिकायती पत्र मिला था जिसके बाद कोर्ट ने 28 जनवरी 2018 को जिला जज हरिद्वार को जांच कर उचित कानूनी कदम उठाने का आदेश दिया। इस आदेश पर जिला जज ने पुलिस के साथ दीपाली शर्मा के घर पर छापा मारा तो लड़की को बरामद कर किया गया। जिस पर 20 चोटों के निशान की पुष्टि भी हुई। इस पर हरिद्वार में मुकदमा दर्ज हुआ तो हाईकोर्ट द्वारा एडीजे सुजाता सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त कर रिपोर्ट मांगी गईण् एडीजे सुजाता सिंह द्वारा 9 जून 2020 को जांच रिपोर्ट दाखिल कर सभी आरोपों को सही पाया। 7 अक्टूबर 2020 को हाईकोर्ट ने जांच रिपोर्ट को सही पाते हुए 14 अक्टूबर 2020 को दीपाली शर्मा की सेवा समाप्ति के आदेश की संस्तुति कर दीण् सरकार ने बाद में 20 अक्टूर 2020 को दीपाली शर्मा की सेवा समाप्त कर दी थी।

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