आसान हुई हेमकुंड यात्रा : हेम गंगा पर बना स्टील गार्डर पुल

2013 की जल प्रलय में भ्यूंडार गांव के साथ ही हेम गंगा पर बना पैदल पुल बहने के बाद स्टील गार्डर पुल बनने से हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी जाने वाले तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों की राह आसान हो गयी है। इससे पहले हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी जाने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को नदी पर निर्मित लकड़ी के पुल से आवाजाही करनी पड़ रही थी। लोनिवि ने यहां ट्रॉली भी स्थापित की थी, लेकिन यह कुछ ही महीने बाद ही खराब हो गई थी। सरकार ने 2017 में घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक 6 कि0मी0 के रोपवे निर्माण की योजना बनी थी। सन् 2020 में इसके लिए टेंडर भी आमंत्रित किए गए, लेकिन आज तक काम आगे नहीं बढ़ पाया। हेम गंगा पर 135 मीटर लंबा स्टील गार्डर पुल बनने से यात्रियों के साथ स्थानीय लोगों में भी प्रसन्नता है। इससे हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी का सफर आसान हो गया है। इस पुल के निर्माण पर 20.73 करोड़ की लागत आई है।
गौरतलब है कि हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्री गोविंदघाट से पुलना गांव तक तीन किलोमीटर वाहन से और यहां से 16 किलोमीटर तक दुरूह पैदल चढ़ाई पार करने के बाद हेमकुंड साहिब पहुंचते हैं। यह पैदल ट्रैक फूलों की घाटी के लिए भी जाता है। गोविंदघाट से 13 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित घांघरिया से एक रास्ता फूलों की घाटी के लिए जाता है।

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