सालभर में नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य

गृहमंत्री ने मुख्यमंत्रियों की बैठक में कहा पूरा साल अपने राज्य में नक्सलवाद पर लगाम कसने में लगाएं

देश के कुछ राज्यों में वर्षों से जड़े जमाये हुए वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई नक्सलवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे अगला पूरा साल अपने राज्य में नक्सलवाद पर लगाम कसने में लगाएं। उन्होंने कहा कि नक्सली समूहों तक पहुंचने वाले पैसे को रोकने के लिए संयुक्त रणनीति बनानी होगी। बैठक में आंकड़े प्रस्तुत करते हुए अमित शाह ने कहा कि 2009 में नक्सली हिंसा की 2258 घटनाएं होती थीं। अब इनमें 70 फीसदी की कमी आई है 2020 में यह आंकड़ा 665 तक सिमट गया था। उन्होंने कहा कि 2010 में 1005 मौतों की तुलना में 2020 में 82 फीसदी की कमी आई है और अब यह केवल 183 रह गई है। गृहमंत्री ने बताया कि 2010 की तुलना में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में भी कमी आई है। तब जहां ऐसे कुल 96 जिले हुआ करते थे वहीं 2020 में ऐसे जिलों की संख्या घटकर केवल 53 रह गई है। उन्होंने कहा कि हमने जो लक्ष्य हासिल कर लिया हैए उससे संतुष्ट होने के बजाए जो बचा हुआ है उसे हासिल करने पर जोर देना चाहिए। इस बैठक में उड़ीसा, तेलंगाना, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड के मुख्यमंत्री शामिल हुए थे। जबकि पश्विम बंगालए छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केरल के मुख्यमंत्री इस मीटिंग में हिस्सा लेने नहीं पहुंच सके। उनकी जगह इन राज्यों के मंत्रियों या वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया। जो मुख्यमंत्री इस मीटिंग में शामिल हुये उनके नवीन पटनायक (उड़ीसा) के चंद्रशेखर राव (तेलंगाना) नीतीश कुमार (बिहार) शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश), उद्धव ठाकरे (महाराष्ट्र) और हेमंत सोरेन (झारखंड) हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, गिरिराज सिंह, अर्जुन मुंड और नित्यानंद राय भी बैठक में मौजूद रहे।

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