सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार को फटकार। कोर्ट ने कहा CA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ वसूली नोटिस वापिस लें

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जारी वसूली नोटिसों पर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि आप वसूली नोटिस वापस लें वरना हम इसे रद्द कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए कार्यवाही करने में खुद एक शिकायतकर्ता, निर्णायक और अभियोजक की तरह काम किया है। कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ वसूली नोटिस वापस लें वरना हम इसे रद्द कर देंगे। इस मामले में 18 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह सिर्फ एक सुझाव है। यह याचिका केवल एक तरह के आंदोलन या विरोध के संबंध में दिसंबर 2019 में भेजे गए नोटिसों के एक सेट से संबंधित है। आप उन्हें एक पेन के स्ट्रोक से वापस ले सकते हैं। यूपी जैसे बड़े राज्य में 236 नोटिस कोई बड़ी बात नहीं है। अगर नहीं माने तो अंजाम भुगतने को तैयार रहें। हम आपको बताएंगे कि कैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का पालन किया जाना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब इस अदालत ने निर्देश दिया था कि फैसला न्यायिक अधिकारी द्वारा किया जाना है तो एडीएम कार्यवाही कैसे कर रहे हैं?
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में CAA के विरोध प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचने के आरोप में 833 दंगाइयों के खिलाफ 106 FIR दर्ज की गईं और उनके खिलाफ 274 वसूली नोटिस जारी किए गए। 274 नोटिसों में से, 236 में वसूली के आदेश पारित किए गए थे, जबकि 38 मामले बंद कर दिए गए थे। विरोध के दौरान 451 पुलिसकर्मी घायल हुए और समानांतर आपराधिक कार्यवाही और वसूली की कार्यवाही की गई।

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