एम्स कर्मचारियों के रवैये और अव्यवस्थाओ पूर्व मंत्री खफा, बिमाारी की हालत में रात को ही छोड़ा अस्पताल
अचानक स्वास्थ्य खराब हाने के बाद पूर्व कैबिनेट मोहन सिंह रावत ‘गांववासी’ को ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराये जाने के बाद उनको यथा समय उचित उपचार नहीं मिला। कर्मचारियों के रवैये और अव्यवस्थाओं के चलते उनको शनिवार रात 10 बजे अस्पताल छोड़ना पड़ा। मोहन सिंह रावत ‘गांववासी’ अब अव्यवस्थाओं और कर्मचारियों के रवैये की शिकायत केंद्र और राज्य सरकार से करेंगे।
आपको बता दें कि शनिवार की सुबह पूर्व मंत्री रावत का अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर आनन फानन में उनकी पत्नी मुन्नी रावत और परिजनों ने उन्हें सुबह नौ बजे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया था। इमरजेंसी वार्ड में चिकित्सकों ने उनकी कई जांचें कीं। इसके बाद उनको सिटी स्कैन कराने के लिए कहा गया, लेकिन जब वह सिटी स्कैन केंद्र में पहुंचे तो उनको बताया कि जांच रिपोर्ट तीन दिन में मिलेगी। उन्होंने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इमरजेंसी में तो मरीज को तत्काल रिपोर्ट मिलनी चाहिए। शाम चार बजे आग्रह करने पर चिकित्सकों ने उनको सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया, लेकिन हैैरानी की बात थी कि 32 बेड के सामान्य चिकित्सा वार्ड में एक भी शौचालय नहीं था। यहां तक कि वार्ड में मरीज के तीमारदार के बैठने की व्यवस्था तक नहीं थी। पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत और उनकी पत्नी ने चिकित्सकों और कर्मचारियों से उन्हें निजी वार्ड में शिफ्ट करने मांग की। उनका आरोप है कि इस पर वार्ड में मौजूद चिकित्सक और स्टाफ भड़क गए और अभद्रता करने लगे। पूर्व कैबिनेट मंत्री का आरोप है कि जब उन्होंने जिम्मेदार अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मजबूरी में उनको रात 10 बजे अस्पताल छोड़ना पड़ा।
इंदिरा नगर स्थित कार्यकर्ता आवास पर पूर्व कैबिनेट मंत्री ने पत्रकारों के सामने एम्स में अव्यवस्थाओें और लचर प्रबंधन को लेकर अपने अनुभव बयां किए। उन्होंने कहा कि एम्स की अव्यवस्थाओं और कर्मचारियों के रवैये की शिकायत केंद्र और राज्य सरकार से करेंगे। मोहन सिंह रावत ने कहा कि एम्स की बदहाल व्यवस्थाओं का खमियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। बेलगाम अधिकारी, चिकित्सक और कर्मचारी मरीजों की सुनने के लिए तैयार ही नहीं हैं। एम्स में बेड उपलब्ध होने के बाद भी मरीजों को वापस लौटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एम्स के निर्माण के बाद प्रदेशवासियों ने सोचा था कि अब उनको बेहतर इलाज मिलेगा, लेकिन उनकी सभी अकांक्षाएं चकनाचूर हो रही हैं।