The Kashmir Files पर सियासी घमासान, एक ही पहलू दिखाने पर विरोध में उठने लगी आवाज

The Kashmir Files: कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) जहां एक ओर बॉक्स ऑफिस (Box Office) पर कीर्तमान रचने जा रही है तो दूसरी ओर इसके पक्ष और विपक्ष में नेताओं व लोगों के बयान आ रहे हैं। शुक्रवार को कई नेताओं ने कश्मीर फाइल्स पर सवाल उठाए। द कश्मीर फाइल्स पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि फिल्म मेकर बताएं ये डॉक्यूमेंट्री है या कमर्शियल फिल्म। उन्होंने कहा कि उस वक्त वीपी सिंह साहब की हुकूमत थी, उनके पीछे बीजेपी खड़ी हुई थी। नेशलन कॉन्फ्रेंस के नेता मुस्तफा कमाल (Mustafa Kamal) ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit Exodus) के साथ जो हुआ वह उनकी अपनी मर्जी से हुआ। उन्होंने कहा कि 1990 में हुई इस घटना के लिए फारूक अब्दुला जिम्मेदार नहीं थे, उस समय राज्य में जग मोहन की सरकार थी और उसके जिम्मेदार वो थे।

गहलोत ने कहा कि कश्मीर फाइल्स देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ती है
वहीं, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कश्मीर फाइल्स देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ती है। उन्होंने कहा कि अतीत पर टिप्पणी करना सही नहीं है। पूरे देश और सभी धर्मों के लोग उस समय की घटनाओं का दर्द महसूस करते हैं। यह फिल्म हिंदू-मुसलमानों और अन्य सभी धर्मों के बीच विभाजन को बढ़ा सकती हैं। कांग्रेस तमिलनाडु प्रमुख केएस अलागिरी ने कहा कि फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक समुदाय के खिलाफ नफरत को उकसाता है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य एकतरफा अर्धसत्य और निराधार मनगढ़ंत बातों को प्रदर्शित करके इस्लामी लोगों के खिलाफ नफरत को भड़काना है।

भूपेश बघेल विधायकों से फिल्म देखने की कर चुके हैं अपील
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने अपने सभी विधायकों को भी फिल्म देखने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा कि इस नरसंहार में न केवल हिंदू, बल्कि वे सभी लोग मारे गए थे, जोकि भारत के साथ खड़े थे। इनमें सिख, मुस्लिम, बौद्ध और अन्य लोग शामिल थे। बघेल ने कहा कि फिल्म में दिखाया गया कि भाजपा के सहयोग से चलने वाली सरकार ने कश्मीरी पंडितों को रोकने का प्रयास नहीं किया, बल्कि उन्हें भाग जाने को कहा गया। कश्मीर में कोई सेना नहीं भेजी गई। लोकसभा में जब राजीव गांधी ने घेरा तो वहां सेना भेजी गई। बघेल ने कहा कि फिल्म में आधा सच दिखाया गया।

नाना पाटेकर ने चुप्‍पी तोड़ी
इस पूरे मामले पर नाना पाटेकर ने चुप्‍पी तोड़ी है। एक न्‍यूज चैनल से बातचीत में नाना पाटेकर (Nana Patekar Slams The kashmir files) ने कहा कि देश में अमन-शांति का माहौल है। हर धर्म के लोग यहां एकसाथ रह रहे हैं, ऐसे में बेवजह बखेड़ा खड़ा करना सही नहीं है। यही नहीं, नाना पाटेकर ने सीधे शब्‍दों में कहा कि ‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ देखकर समाज के दो टुकड़े हो जाएंगे और इस तरह दरार डालना सही नहीं है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने फिल्म देखने के बाद कहा था कि जो लोग आज ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बैन करने की बात कर रहे हैं, वे देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे गांव की चौपाल तक दिखाना चाहिए। मैं आज कह रहा हूं कि आज ममता बनर्जी का वही रोल है, जो कभी कश्मीर में राजनेताओं का था।

पीएम नरेंद्र मोदी कश्मीर फाइल्स की तारीफ कर चुके हैं
द कश्मीर फाइल्स की पीएम नरेंद्र मोदी तारीफ कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी ने कश्मीर फाइल्स की तारीफ करते हुए कहा कि इन दिनों इस फिल्म की चर्चा हर ओर हो रही है, जबकि कुछ जमात है, जो इस फिल्स के रिलीज होने के बाद बौखला गई है।

इन राज्यों में हुई है टैक्स फ्री
द कश्मीर फाइल्स कई राज्यों में टैक्स फ्री हो गई है। इसमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल, गुजरात, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश त्रिपुरा, झारखंड और गोवा शामिल है। धीरे-धीरे इसके ट्रैक्स फ्री होने का दायरा बढ़ता जा रहा है।

कपिल शर्मा शो से हुई विवाद की शुरुआत
द कश्मीर फाइल्स फिल्म के विवाद की शुरुआत उस समय हुई, जब एक फैन ने फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री से पूछा कि वो द कपिल शर्मा शो में फिल्म को प्रमोट करने के लिए क्यों नहीं गए। विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीटर यूजर फैंस को जवाब दिया। निर्देशक ने दावा किया था कि कश्मीर फाइल्स को कपिल ने प्रमोट करने से मना कर दिया था, फिर क्या था, इसके बाद सोशल मीडिया पर बॉयकाट कपिल शर्मा ट्रेंड शुरू हो गया था। मामला बढ़ता देख कपिल शर्मा ने ट्वीट कर इन बातों में कोई सच्चाई नहीं होने की बात कही। इसके बावजूद कपिल शर्मा को विरोध का सामना करना पड़ा।

फिल्म से जुड़ी कुछ अनछुईं घटनाएं
25 जून 1990 गिरिजा टिकू नाम की कश्मीरी पंडित की हत्या के बारे में आप जानेंगे तो सिहर जाएंगे। सरकारी स्कूल में लैब असिस्टेंट का काम करती थी। मुसलमान आतंकियों के डर से वो कश्मीर छोड़ कर जम्मू में रहने लगी। एक दिन किसी ने उसे बताया कि स्थिति शांत हो गई है, वो बांदीपुरा आकर अपनी तनख्वाह ले जाए। वो अपने किसी मुस्लिम सहकर्मी के घर रुकी थी। मुसलमान आतंकी आए, उसे घसीट कर ले गए। वहां के स्थानीय मुसलमान चुप रहे, क्योंकि किसी काफ़िर की परिस्थितियों से उन्हें क्या लेना-देना। गिरिजा का सामूहिक बलात्कार किया गया, बढ़ई की आरी से उसे दो भागों में चीर दिया गया, वो भी तब जब वो जिंदा थी। ये खबर किसी अखबारों में नहीं दिखाई गई।

4 नवंबर 1989 को जस्टिस नीलकंठ गंजू को दिनदहाड़े हाईकोर्ट के सामने मार दिया गया। उन्होंने मुसलमान आतंकी मकबूल भट्ट को इंस्पेक्टर अमरचंद की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। 1984 में जस्टिज नीलकंठ के घर पर बम से भी हमला किया गया था। उनकी हत्या कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या की शुरुआत थी।

7 मई 1990 को प्रफेसर के एल गंजू और उनकी पत्नी को मुसलमान आंतंकियों ने मार डाला। पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया। 22 मार्च 1990 को अनंतनाग जिले के दुकानदार पीएन कौल की चमड़ी जीवित अवस्था में शरीर से उतार दी गई और मरने को छोड़ दिया गया। तीन दिन बाद उनकी लाश मिली।

12 फरवरी 1990 को तेज कृष्ण राजदान को उनके एक पुराने सहकर्मी ने पंजाब से छुट्टियों में उनके श्रीनगर आने पर भेंट की इच्छा जताई। दोनों लाल चौक की एक मिनी बस पर बैठे। रास्ते में मुसलमान मित्र ने जेब से पिस्तौल निकाली और छाती में गोली मारी। इतने पर भी वो नहीं रुका, उसने राजदान जी को घसीट कर बाहर किया और लोगों से बोला कि उन्हें लातों से मारें। फिर उनके पार्थिव शरीर को पूरी गली में घसीटा गया और नजदीकी मस्जिद के सामने रख दिया गया ताकि लोग देखें कि हिन्दुओं का क्या हश्र होगा।

24 फरवरी 1990 को अशोक कुमार काज़ी के घुटनों में गोली मारी गई, बाल उखाड़े गए, थूका गया और फिर पेशाब किया गया उनके ऊपर। किसी भी मुसलमान दुकानदार ने, जो उन्हें अच्छे से जानते थे, उनके लिए एक शब्द तक नहीं कहा। जब पुलिस का सायरन गूंजा तो भागते हुए उन्होंने बर्फीली सड़क पर उनकी पीड़ा का अंत कर दिया। पांच दिन बाद नवीन सप्रू को भी इसी तरह बिना किसी मुख्य अंग में गोली मारे, तड़पते हुए छोड़ा गया, मुसलमानों ने उनके शरीर के जलने तक जश्न मनाया, नाचते और गाते रहे।

30 अप्रैल 1990 को कश्मीरी कवि और स्कॉलर सर्वानंद कौल प्रेमी और उनके पुत्र वीरेंदर कौल की हत्या बहुत भयावह तरीके से की गई। उन्होंने सोचा था कि ‘सेकुलर’ कश्मीरी उन्हें नहीं भगाएंगे, इसलिए परिवार वालों को लाख समझाने पर भी वो ‘कश्मीरी सेकुलर भाइयों’ के नाम पर रुके रहे। एक दिन तीन ‘सेकुलर’ आतंकी आए, परिवार को एक जगह बिठाया और कहा कि सारे गहने-जेवर एक खाली सूटकेस में रख दें।

(साभार नभाटा)

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