उत्तराखण्ड : केदारनाथ रोपवे होगा दुनियां का सबसे लंबा रोपवे, श्रद्धालु केवल 60 मिनट में पहुंचेंगे बाबा केदार की नगरी

PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल हैकेदारनाथ रोपवे

  • ख़ास बातें
  • 11500 फीट की ऊँचाई पर दुनियां का सबसे लंबा रोपवे
  • 11.5 कि0मी0 होगी लंबाई
  • श्रद्धालु 1 घंटे में पहुंच जायेंगे सोनप्रयाग से केदारनाथ
  • डीपीआर बनाने की प्रक्रिया आरंभ

बार केदारनाथ की यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिए केदारधाम में दुनिया का सबसे लम्बा रोपवे बनने के लिए काम जल्दी ही शुरू होने वाला है। कुछ माह पूर्व भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की टीम केदारनाथ में रोपवे संभावनाओं का जायजा लेने आई थी। इस दौरान टीम ने केदारनाथ, सोनप्रयाग और गौरीकुंड क्षेत्र का दौरा किया था। (NHAI) की रोपवे विंग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड के सीईओ प्रकाश गौड़ के नेतृत्व में इस टीम ने पूरे इलाके का सर्वे किया था। सीईओ प्रकाश गौड़ ने प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि उत्तराखंड में कुल 29 किमी की संयुक्त लंबाई के साथ तीन रोपवे लिंक प्रस्तावित हैं। जिनमें से एक PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल गौरीकुंड से केदारनाथ रोपवे है।
अब इसी कड़ी में आगे उत्तराखंड सरकार की समुद्र तल से 11,500 फीट की ऊंचाई पर दुनिया का सबसे लंबा रोपवे बनाने की योजना धरातल पर उतर रही है। 11.5 किलोमीटर लंबे रोपवे की मदद से तीर्थयात्रियों को 24 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय नहीं करना पड़ेगा। केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने में लगने वाले समय में काफी कमी आएगी और श्रद्धालु हिमालय के मनमोहक दृश्यों को देखते हुए एक घंटे से भी कम समय में केदारनगरी पंहुचेंगे। वर्तमान में, तीर्थयात्रियों को गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक पंहुचने में पूरा दिन लगता है, जबकि रोपवे उन्हें सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 60 मिनट में पंहुचा देगा।

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पिछली बार उत्तराखंड आने पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 नवंबर को केदारनाथ की अपनी यात्रा के दौरान ने कहा था कि केदारनाथ और श्री हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। उत्तराखंड पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने अब स्पष्ट किया है कि, “केदारनाथ रोपवे के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और जल्द ही काम शुरू करने के लिए निविदा जारी की जाएगी।” Kedarnath Ropeway  परियोजना के सलाहकार एस के जैन के अनुसार, पहले की योजना गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक रोपवे बनाने की थी, लेकिन बाद में शुरुआती बिंदु को सोनप्रयाग में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है। मंदिर के लिए 16 किलोमीटर का ट्रेकिंग मार्ग गौरीकुंड से शुरू होता है, जबकी सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच मोटर योग्य दूरी 8 किमी है। इस प्रकार कुल पैदल यात्रा 24 किलोमीटर की हो जाती है। 11.5 किलोमीटर लंबा ये रोपवे दुनिया का सबसे लम्बा रोपवे कहा जा रहा है।

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